गगनबावड़ा – दोस्तो हम अक्सर कई हिल स्टेशनों पर घूमने जाते हैं। वहां जाने का हमारा मुख्य उद्देश्य होता है रोज़मर्रा के कामों से कुछ समय की छुट्टी पाना, वातावरण में बदलाव की चाह, दिल और दिमाग की थकावट दूर करके उन्हें नई ऊर्जा भरना, भीड़ भाड़ से दूर कुछ समय शान्ति से बिताना और प्रकृति के नज़दीक रह कर उसका आनंद उठाना। लेकिन आज के दौर में अधिकतर बड़े हिल स्टेशनों में भीड़ ही मिलती है वहां भी शहरों वाला हाल ही मिलता है। पर कुछ हिल स्टेशन ऐसे भी हैं जिन्हें अभी ज़्यादा देखा नहीं गया है और जहां का वातावरण अभी भी मानव के आक्रमण से अछूता है। इन जगहों पर आपको अपेक्षाकृत शांत वातावरण तो मिलेगा ही साथ ही प्रकृति भी आपको अपने असली रूप में दिखाई देगी। ऐसी ही जगहों में से एक है गगनबावड़ा।
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गगनबावड़ा कहाँ है?
पश्चिमी भारत के महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में स्थित गगनबावड़ा एक छोटा सा लेकिन बहुत सुंदर हिल स्टेशन है। इसकी विशेषता यह है कि यह दो घाटों के बीच में स्थित है। यह करुल घाट और भुईबावड़ा घाटों की शुरुआत में स्थित है। गगनबावड़ा शायद इकलौता ऐसा स्थान है जो ऐसी जगह बसा हुआ है जहां से दो घाट शुरू होते हैं और अलग दिशाओं में चले जाते हैं। कोल्हापुर से करीब 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह हिल स्टेशन अपनी प्राकृतिक सुंदरता से आपको बरबस ही आकर्षित कर लेगा। समुद्र तट से 3000 फ़ीट की ऊंचाई पर बसे गगनबावड़ा में आपको ढलान वाले सुंदर पहाड़ मिलेंगे। यहां काफी बारिश होती है जिसकी वजह से इसे महाराष्ट्र का चेरापूंजी भी कहा जाता है और इसी वजह से आपको यहां हर समय हरियाली नज़र आएगी।
गगनबावड़ा प्रकृति की सुंदरता को देखने और निहारने के लिए एक आदर्श जगह है। यहां से आपको कोंकण तट का अद्भुत दृश्य देखने को मिलेगा। साथ ही चारों और फैली हरियाली आपका मन प्रफुल्लित कर देगी। गगनबावड़ा में प्राकृतिक सुंदरता के अलावा भी देखने और करने के लिए बहुत कुछ है। यहां के कुछ प्रमुख दर्शनीय स्थलों के बारे में आपको बताते हैं।
गगनगढ़ क़िला
ऐसा माना जाता है कि इस क़िले का निर्माण शिल्हारा वंश के राजा भोज द्वारा किया गया था। इसका उद्देश्य करुल घाट और भुईबावड़ा घाट पर एक साथ नज़र रखना था। बारहवीं सदी में बने इस क़िले के अब अवशेष ही बचे हैं, हालांकि कई जगह से इसकी बाहरी दीवारें अभी भी नज़र आती हैं। गगनबावड़ा से एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित गगनगढ़ क़िले के अंदर एक भवानी मंदिर और एक मस्जिद भी बनी हुई है। वर्ष 1658 में शिवाजी महाराज ने इस क़िले को ले लिया था हालांकि बाद में अंग्रेज़ों के शासनकाल में यहां उनकी एक रेजिमेंट बना दी गई थी।
यहीं पर आपको कुछ प्राकृतिक गुफाएं भी मिलेंगी। कहा जाता है कि अपनी तपस्या के शुरू के दिनों में गगनगिरी महाराज इन्हीं में से एक गुफा को अपना निवास बना लिया था जो आज गर्भगृह जानी जाती है। यहाँ रहकर वह ध्यान लगाते थे और अपनी तांत्रिक विद्या पर काम करते थे।आज भी वहां पर उनका एक मंदिर और एक आश्रम बना हुआ है जहां दूर दूर से श्रद्धालु पूजा करने आते हैं।
गगनगढ़ क़िले तक पहुँचने का मज़ा पहाड़ पर चढ़ाई कर के जाने में है क्योंकि तभी आप आसपास की सुंदरता का आनंद ले सकेंगे। ऊपर पहुँच कर आप चारों और फैली हरियाली और नीचे की प्राकृतिक सुंदरता का अविश्वसनीय दृश्य देखेंगे।
करुल घाट और भुईबावड़ा घाट
गगनबावड़ा से शुरू होकर कोंकण तट तक जाने वाले ये दो घाट इस इलाके में दो सबसे सुंदर दृश्य पेश करने वाली जगहों में से हैं। इन रास्तों की प्राकृतिक छटा बताने से ज़्यादा देखने के लायक है। इन घाटों की शुरुआत में कुछ ऐसे स्थान हैं जहां से आप खूबसूरत सूर्यास्त का बेहद दिलकश नज़ारा देख सकते हैं। आप इन घाटों के रास्तों पर जाएंगे तो यहां चारों ओर फैली हुई प्राकृतिक सुंदरता आपको भौंचक्का कर देगी। यहां की सबसे अच्छी बात यह है कि बड़े हिल स्टेशनों की तरह यहां अभी शहरीकरण नहीं हुआ है जिससे इन घाटों का मौलिक स्वरूप अभी बरकरार है। करुल घाट भुईबावड़ा घाट की अपेक्षा बड़ा है लेकिन दोनों ही घाटों से आपको गहरी वादियों पहाड़ों के मनमोहक दृश्य देखने को मिलेंगे।
मोरजाई मंदिर और प्लेटू (पठार)
चाहे आप रोमांच हैं और उसीकी खोज में रहते हैं या फिर आप उसके बिलकुल विपरीत धार्मिक या आध्यात्मिक विचारों के हैं और ऐसी जगहों में जाना पसंद करते हैं जो धर्म या आध्यात्म से संबंधित हों, मोरजाइ मंदिर और प्लेटू आप सब के लिए है। एक ओर जहाँ यह जगह ट्रेकिंग और हाईकिंग के लिए आदर्श है तो दूसरी ओर मोरजाइ मंदिर आपकी धार्मिक भावनाओं और आस्था के लिए बिलकुल उपयुक्त जगह है। गगनबावड़ा से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मोरजाइ प्लेटू समुद्र तट से 980 मीटर की ऊंचाई पर खड़ा है।
आप इस जगह के आधार तक अपनी कार या टैक्सी में पहुँच सकते हैं और वहां से आपको चढ़ाई चढ़ कर ऊपर जाना होता है। ऊपर की चढ़ाई कोई बहुत कठिन या सीधी नहीं है बल्कि आसान है। आप आराम से करीब 45 मिनट में आसपास के सुंदर नज़ारों का मज़ा लेते हुए नीचे से ऊपर पहुँच सकते हैं।
ऊपर पहुँच कर ना सिर्फ आपको चारों ओर फैली हुई हरियाली, घाटी और पहाड़ों का आकर्षक दृश्य नज़र आएगा बल्कि साथ ही आपको देवी मोरजाई के मंदिर के दर्शन भी होंगे। यह एक गुफा वाला मंदिर है। यहां के लोग मोरजाई को शांति की देवी मानते हैं और अपने झगडे सुलझाने यहां आते हैं। एक ७२ वर्षीय स्थानीय पुजारी दिन में दो बार चढ़ाई चढ़ कर यहां आते हैं और मंदिर में दिया जलाते हैं। मानसून के मौसम के अंत में यह प्लेटू जंगली फूलों से ढका होता है और उस समय इसकी सुंदरता देखते ही बनती है।
पांडव गुफाएं
गगनबावड़ा से 8 किलोमीटर दूर स्थित ये गुफाएं रामलिंग गुफाओं के नाम से भी जानी जाती हैं। ये गुफाएं एक छोटे से गाँव पालसांबे के निकट स्थित हैं। कहा जाता है कि महाभारत के भीम ने एक ही दिन में इन गुफाओं का निर्माण कर दिया था। नदी की तंग घाटी में हरी भरी जड़ी बूटियों के पौधों के बीच स्थित इन गुफाओं का ज़िक्र 5वीं सदी के इतिहास में भी है। आसपास हरियाली होने की वजह से यहाँ ऑक्सीजन से भरपूर ताज़ा और शुद्ध वातावरण मिलता है। इस जगह पर एक ही चट्टान से बने मंदिर हैं। कहा जाता है पांडव यहां आकर अपनी तपस्या किया करते थे। इसीलिए इन्हें साधना घर भी कहा जाता है। सहाद्रि पर्वत श्रृंखला से घिरे होने के कारण यहां का मौसम पूरे साल अच्छा रहता है। और चारों ओर हरियाली होने के कारण वातावरण भी शुद्ध रहता है।
इसके अलावा आप पास में ही शुगर फैक्ट्री देख सकते हैं जहाँ आपको चीनी बनाने किन पूरी प्रक्रिया की जानकारी मिलेगी। इस इलाके में यही एक बड़ा उद्योग है। चीनी मिल के साथ ही बेवडेकर बंगला है। यह यहां के पूर्व जागीरदार का है लेकिन उनके उत्तराधिकारी यहां नहीं रहते। लेकिन यह बंगला अभी भी देखने में बहुत सुंदर है। इसकी भव्यता इतनी आकर्षक है कि इसका इस्तेमाल कुछ फिल्मों और सीरियल में भी किया गया है। गगनबावड़ा में जैव विविधता की बहुतायत है। आपको यहां अनेकों प्रकार के पेड़, पौधों, फूलों और वनस्पतियों की प्रजातियां मिलेंगी।
गगनबावड़ा कैसे पहुंचें?
हवाई मार्ग से – गगनबावड़ा से सबसे नज़दीक बड़ा हवाई अड्डा है पुणे जो करीब 290 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से आपको कोल्हापुर के लिए बसें और टैक्सियां आसानी से उपलब्ध हो जाएंगी।
रेल मार्ग – सबसे नज़दीक रेलवे स्टेशन वैभववाड़ी है जो यहां से 20 किलोमीटर दूर है। लेकिन सबसे बड़ा नज़दीकी रेलवे स्टेशन कोल्हापुर है जो गगनबावड़ा से 50 किलोमीटर की दूरी पर है। वहां से आपको गगनबावडा के लिए सरकारी बसें या टैक्सियां आसानी से मिल जाएंगी।
सड़क मार्ग – गगनबावड़ा महाराष्ट्र के अन्य शहरों के साथ अच्छी सड़कों से जुड़ा हुआ है और यह राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 115 पर स्थित है। मुंबई और पुणे से गोवा जाने वाली कुछ सरकारी बसें यहां से होकर गुज़रती हैं जो आपको यहां उतार सकती हैं।
गगनबावड़ा में कहाँ रुकें?
यहां रुकने के लिए आपको हर प्रकार के होटल और रिसोर्ट मिल जाएंगे। इसके अलावा एमटीडीसी द्वारा संचालित रिसोर्ट भी यहाँ है जो उपयुक्त दाम पर अच्छी सेवाएं उपलब्ध कराता है।
गगनबावड़ा में सभी ले लिए कुछ न कुछ है और सबसे बड़ी बात है यहां का शांत वातावरण और अछूती प्राकृतिक सुंदरता।