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- 6 Years Ago, The Bridge Between Rahimpur Mathar Diara Was Made Of .65.69 Crores Rupees, Movement Of 50 Thousand People Without Appraise Path Affected
खगड़िया13 घंटे पहले
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लेटलतीफी: वर्ष 2013 में शुरू हुआ था पुल का निर्माण कार्य, जिसे 2014 के नवंबर में बनकर हो जाना था पूरा।
- पुल से मथार, सोनवर्षा दियारा और बरखंडी टोला सहित कई इलाके से होगा संपर्क
- सकारात्मक सोच का अभाव: ग्रामीण कार्य विभाग के अधिकारियों ने बगैर पूर्व तैयारी के करा दिया पुल का निर्माण कार्य शुरू
सदर प्रखंड के ननकू मंडल टोला में गंगा की उपधारा पर दियारा क्षेत्र को सुगम आवागमन का साधन उपलब्ध कराने की सरकार की महत्वाकांक्षी योजना को ग्रामीण कार्य विभाग के अधिकारियों ने पलीता लगा दिया। बिना एप्रोच रोड के ही 5 करोड़ 69 लाख 27 हजार रुपए की लागत से पुल का निर्माण करवा दिया। इसके बाद से आज तक यह पुल एप्राेच पथ के अभाव में बेकार है। बताया जाता है कि अप्रैल 2013 में इस पुल का निर्माण कार्य शुरू किया गया था। नवंबर 2014 में ही यह पुल बनकर तैयार हो गया। लेकिन अफसोस की बात यह है कि 4 वर्षों से यह बेकार पड़ा है। सदर प्रखंड के ननकू मंडल टोला दुर्गापुर में गंगा के उस धारा पर इस पुल का निर्माण मथार दियारा, सोनवर्षा दियारा, बरखंडी टोला, सहित अन्य कई टोले के लोगों को आवागमन की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए किया गया था। पुल के निर्माण के पीछे सरकार की मंशा थी कि दियारा में पुलिस के साथ-साथ बाढ़ के समय लोगों को कम से कम आवागमन की समस्या का सामना नहीं करना पड़े। पुलिस की पहुंच से दियारा में अपराधियों के आतंक का भी अंत होगा। 6 साल में इस पुल का निर्माण हो गया लेकिन सरकार की ओर से राशि खर्च करने के बाद भी दियारा और मुख्यालय के बीच की दूरी को पाटने की कोशिश कामयाब नहीं रही। उल्लेखनीय है कि पुल का निर्माण अगर पूरा कर लिया जाता तो 50,000 से ज्यादा की आबादी स्कूल से लाभान्वित होती। बीती गुरुवार की देर रात्रि में जब इस क्षेत्र के 50 लोगों नौका परिचालन बंद होने के कारण यहां रुकना पड़ा। तब इस पुल की महत्ता दियारा क्षेत्र के लोगों को समझ में आयी। इधर, इस संबंध में पक्ष लेने के लिए जब ग्रामीण कार्य विभाग के कार्यपालक अभियंता को फोन लगाया गया तो उनका नंबर बंद मिला।
6 किमी की दूरी तय करने में लगते हैं 6 घंटे
दियारा में किसी प्रकार की घटना होने के बाद पुलिस को 6 किलोमीटर की दूरी करने में घंटों लग जाते हैं। पहले पुलिस को नाव के सहारे गंगा की उपधारा को पार करना होता है। इसके बाद या तो पुलिस पांव पैदल या फिर ट्रैक्टर के सहारे दियारा क्षेत्र में पहुंचती है। इसका लाभ दियारा में अपराधी उठाते हैं। वारदात को अंजाम देने के बाद फरार होने में उन्हें कामयाबी मिलती है। दियारा में अगलगी की घटना अक्सर होती रहती है। जिसमें सैकड़ों घर प्रत्येक वर्ष स्वाहा हो रही है। रास्ते के अभाव में दमकल दस्ता को भी पहुंचने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। बाढ़ के समय तो कुछ कहा ही नहीं जा सकता है।
पुल के लिए कर चुकी हूं अनशन: प्रियदर्शना
इधर जिला परिषद क्षेत्र संख्या 7 की सदस्य प्रियदर्शना सिंह ने कहा कि दियारा की सड़क को लेकर कई बार जिप की बैठक में भी आवाज उठा चुकी हूं। कई बार अनशन भी किया। अनशन समाप्त कराने के लिए जिला प्रशासन के अधिकारियों ने झूठे वादे भी किये। आज तक अगर दियारा में विकास नहीं हो पाया है तो इसके लिए सिर्फ- सिर्फ जिला प्रशासन के अधिकारियों के बीच इच्छाशक्ति की कमी है। सरकार की तरफ से रुपए देने में किसी प्रकार की कमी नहीं की जाती है। इसका उदाहरण यह ठूठ पुल ही है। जिसके निर्माण के लिए 5 करोड़ रुपए सरकार ने दे दिए। लेकिन अधिकारियों ने अपना कमीशन के निकालने के लिए इस रुपए का कितना सदुपयोग किया यह भी सभी लोगों के सामने है।
जाप नेता बोले-सही जगह पर नहीं हुआ पुल का निर्माण
जाप नेता मनोहर कुमार यादव की मानें तो इस पुल का निर्माण सही जगह पर नहीं हुआ। नेताओं व अधिकारियों ने अपने कमीशन के चक्कर में इस पुल का निर्माण ऐसी जगह पर करवा दिया जहां पुल पर जाने के लिए रास्ता ही नहीं है। वहीं दूसरी तरफ उन्होंने बताया कि एक सकरा रास्ता पुल तक पहुंच भी जाता है तो धार के उस पार किसानों की जमीन पड़ जाती है। जिसका अधिग्रहण नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि इतना सब कुछ हो जाने के बाद भी अगर विभाग जमीन का अधिग्रहण कर पुल को एप्रोच पथ उपलब्ध करा देता है ताे दियारा के लोगों बहुत राहत मिलेगी। लेकिन अब इस काम में हाथ डालने से अधिकारियों को फंसने का भी डर है। यही मुख्य कारण है कि इस काम में कोई हाथ डालने को तैयार नहीं है।
कार्य पूरा कराए विभाग, नहीं तो होगा आंदोलन
इधर, जाप किसान प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष सह पूर्व नगर सभापति मनोहर कुमार यादव ने कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है। कमीशनखोरी का इससे बड़ा उदाहरण हो ही नहीं सकता। जनता का रुपया लूट कर बैठे विभाग के अधिकारी अगर यह बात समझते हैं कि वे चैन से बैठ लेंगे तो यह गलत होगा। मैं जल्द ही इस पुल के मुद्दे को लेकर एक बड़ा आंदोलन करूंगा। उन्होंने कहा कि क्या कारण है कि रुपए उपलब्ध होने के बाद भी इस पुल को एप्रोच पथ से नहीं जोड़ा जा रहा है और क्यों इस सड़क और पुल के मुद्दे को लेकर एमपी और एमएलए खामोश हैं। क्या दियारा के लोग उनलोगों को वोट नहीं करते हैं? आम लोगों को सबकुछ समझ में आता है। चुनाव में इस बार जवाब मिलेगा।
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