ब्यूबोनिक प्लेग से एक की मौत, अमेरिका पहुंचा संक्रमण
चीन (China) से इस बार फिर ब्यूबोनिक प्लेग (Bubonic plague) फैलने का ख़तरा लगातार बना हुआ है. चीन के इनर मंगोलिया में शुरू हुआ ब्यूबोनिक प्लेग का दायरा तेजी से बढ़ रहा है. मिली खबर के मुताबिक पश्चिम मंगोलिया में प्लेग से 15 साल के लड़के की मौत हो गयी है
डेली मेल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक चीन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की है. मंत्रालय के प्रवक्ता नारेगेरेल डोर्ज के मुताबिक, दो अन्य लड़कों ने भी मर्मट (चूहे जैसा जानवर) का मांस खाया था, उनका इलाज चल रहा है. मंत्रालय की ओर जारी बयान के मुताबिक, मामला सामने आने के बाद गोबी-अलताई प्रांत में सभी को क्वारंटीन करने के आदेश जरी कर दिए गए हैं. मंगोलिया सरकार ने अलर्ट जारी करके लोगों से मर्मट को न खाने की अपील की है. चीनी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, ब्यूबोनिक प्लेग से संक्रमित एक अन्य मरीज की हालत में सुधार देखा जा रहा है. ब्यूबोनिक प्लेग का बैक्टीरिया ज्यादातर चूहों के जरिए फैलता है लेकिन चीन में यह गिलहरीनुमा जीव मर्मट से फैला है. यह जीव अधिकतर मंगोलिया और उत्तरी एशिया में पाया जाता है.
Human case of the PLAGUE is confirmed in Colorado for the first time in 5 years https://t.co/DnKXNAq13O
— Daily Mail US (@DailyMail) July 16, 2020
क्या है ब्यूबोनिक प्लेग जिसे कहते हैं ब्लैक डेथ?
WHO के मुताबिक यह एक बेहद संक्रामक बीमारी है जो येरसीनिया पेस्टिस नाम के बैक्टीरिया से फैलती है. यह बैक्टीरिया चूहे के शरीर में चिपके परजीवी पिस्सू में पाया जाता है, ये एक जानलेवा बीमारी है. आमतौर पर प्लेग दो तरह का होता है – न्यूमोनिक और ब्यूबोनिक. शुरूआती संक्रमण को ब्यूबोनिक प्लेग कहते हैं, लेकिन जब बैक्टीरिया फेफड़ों तक पहुंचता है तो हालत गंभीर हो जाती है ये न्यूमोनिक प्लेग में तब्दील हो जाता है. चूहों के शरीर पर पलने वाले कीटाणुओं की वजह से प्लेग की बीमारी फैलती है. प्लेग के मरीज की सांस और थूक के के संपर्क में आने वाले लोगों में भी प्लेग के बैक्टीरिया का संक्रमण हो सकता है.
प्लेग के लक्षण भी कुछ-कुछ कोरोना संक्रमण जैसे ही होते हैं. इस दौरान बुखार, ठंड लगना, पूरे शरीर में दर्द रहना, कमजोरी महसूस करना, उल्टी आना जैसे इसके लक्षण दिखते हैं. ब्यूबोनिक प्लेग में लिम्फ ग्रंथियों में सूजन आ जाती है और बुखार रहता है जबकि न्यूमोनिक प्लेग में संक्रमण होने पर सांस लेने में तकलीफ होने के साथ खांसी आती है. ब्यूबोनिक प्लेग में मौत का खतरा 30 से 60 फीसदी तक होता है, जबकि न्यूमोनिक प्लेग के मामले में इलाज न मिलने पर मौत हो सकती है. इसका इलाज स्ट्रेप्टोमाइसिन और टेट्रासायक्लाइन जैसी दवाइयों से प्लेग का प्रभावी ढंग से इलाज किया जा सकता है. कोरोना की ही तरह प्लेग भी एक संक्रमित इंसान से दूसरे इंसान में ड्रॉपलेट्स के जरिए फैलता है. मरीज की मौत के बाद भी उसके शरीर के सम्पर्क में आने पर संक्रमण का खतरा रहता है.
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