लुधियाना4 घंटे पहले
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बाजवा नगर में बुड्ढे नाले के दूसरी ओर इंक्रोचमेंट।
- नाले के 14.87 किलोमीटर हिस्से की 10 दिनों में पूरी होगी डीमार्केशन
- कागजों में नाला 198 फीट, मौके पर बचा मात्र 80 फीट, आज मीटिंग में होगा फैसला इंक्रोचमेंट कैसे हटाई जाएगी
राज्य सरकार ने पीआईडीबी के मार्फत बुड्ढे नाले के सौंदर्यीकरण और पानी के ट्रीटमेंट को लेकर 650 करोड़ का प्रोजेक्ट तैयार किया है, जिसके तहत इसकी जमीन की डीमार्केंशन की जा रही है। मगर अभी 14.87 किलोमीटर नाले में से मात्र 5 किमी नाले की डीमार्केशन हुई है और इसमें 100 से ज्यादा जगहों पर बुड्ढे नाले की जमीन पर कब्जे सामने आ गए।
इसमें लोगों ने मकान बना लिए, सियासी रसूखदारों ने फैक्ट्रियां लगा ली, निगम ने अपने ही कर्मियों को प्लाट काट दिए। रही कसर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट ने मछली मार्केट बनाकर उसमें नाले की जमीन कब्जा ली। हालात यह है कि कई पार्षद के नजदीकियों की फैक्ट्री तक नाले की जमीन में आती है।
रेवेन्यू रिकॉर्ड में जो नाला व उसका दोनों साइड का पैसेज 198 फीट चौड़ा है वह मौके पर मात्र 80 फीट बचा है और कहीं तो इतना भी नहीं है। अभी नाले की जमीन की निशानदेही पूरी होने में 10 दिन और लगेंगे, इससे कब्जों की संख्या तीन गुणा तक बढ़ सकती है।
वहीं नाले के सौंदर्यीकरण के लिए सीएम की तरफ से बनाई टास्क फोर्स के लिए अब रेवेन्यू रिकॉर्ड के मुताबिक नाले के अस्तित्व को फिर से बहाल करना चुनौती बन गया है। हालांकि जमीन की निशानदेही करने वाली अमृतसर की कंपनी, रेवेन्यू व सिंचाई विभाग ने नाले की जमीन पर हुए कब्जों पर लाल निशान लगा वहां कब्जाए रकबे को आंककर लिख दिया है मगर उसे खाली करवाना प्रशासन के लिए आसान नहीं होगा।
मेयर बलकार सिंह संधू, कमिशनर प्रदीप कुमार सब्बरवाल व खाद्य आपूर्ति मंत्री भारत भूषण आशू के मुताबिक विकास के रास्ते में आने वाले कब्जों को हटाया जाएगा। अगर ऐसा होता है तो आने वाले समय में इन सैकड़ों अवैध निर्माणों पर कार्रवाई की पूरी संभावना है।
एक एकड़ में 220 बाय 198 फीट है नाले का रकबा, मौके पर आधा भी नहीं
रैवीन्यू रिकार्ड को देंखे तो बुड्ढे नाले के 14.87 किलोमीटर हिस्से में कुल 251 एकड़ के लगभग जमीन आती है। इसके तहत एक एकड़ में 220 बाय 198 फीट की लंबाई-चौड़ाई में नाले की शेप कागजों में है, जो मौक पर आधी भी नहीं बची।
अब बुड्ढे नाले को लेकर टास्क फोर्म के चेयरमैन सतगुरु उदय सिंह की अगुवाई में मीटिंग आज सोमवार को रखी गई है। जिसमें बुड्डे नाले की स्टेट्स रिपोर्ट पेश की जाएगी। इसके बाद ही इस पर आगे की कार्रवाई का फैसला लिया जाएगा।
अब तक ये किया जा चुका है नाले के सुधार के लिए
2013 में पवित्र नगर के साथ लगते बुड्ढे नाले के किनारे पर कब्जे को निगम ने हटाने का प्रयास किया तो जनता ने पथराव कर दिया। जबकि 1992 में खुद निगम ने ही इसी नाले पर खुद 65 के करीब प्लाट काटकर निगम मुलाजिमों को दे दिए गए। जो आगे बेचे जा चुके है।
2016 में अकाली-भाजपा सरकार के समय 100 करोड़ रुपए उप मुख्यमंत्री रहे सुखबीर बादल ने नाले को प्रदूषण मुक्त करने के लिए जारी किए थे, पर वो पैसा कहां खर्च हुआ पता नहीं।
2019 में पीपीसीबी ने मेयर और निगम कमिश्नर पर केस दायर करा दिया था बुड्ढे नाले के प्रदूषित होने के मामले में, हालांकि ये केस बाद में खत्म करा दिया गया है।
एनजीटी की सख्ती के बाद पीपीसीबी ने करीब एक करोड़ तक की बैंक गारंटियां तक निगम से मांग चुका है।
हर साल करोड़ों डकारने का जरिया बना बुड्ढा नाला
हर साल बुड्ढे नाले की सफाई के लिए निगम 1 करेाड़ रुपया खर्च करता है। पिछले बीस सालों से ये हो रहा है।
2012 में बीएंडआर डिपार्टमेंट ने 3.86 करोड़ खर्च करके डीपीआर बनवाई थी। 1100 करोड़ से नाले का कायाकल्प होना था। लकिन डीपीआर कागजों में ही रही।
2010 में 15.28 करोड़ का ग्रीन प्रोजेक्ट शुरू किया गया था, जिसके तहत हर एक ब्रिज पर 100 टन के करीब बैक्टीरिया छोड़ा गया था। ये प्रोजेक्ट फेल हो गया।
बुड्ढे नाले को लेकर ये नई योजनाएं
650 करोड़ रुपए की सौंदर्यीकरण योजना में राज्य सरकार 342 करोड़, केंद्र सरकार 208 करोड़ जबकि 100 करोड़ रुपए निजी ऑपरेटर द्वारा खर्चे जाएंगे।
स्मार्ट सिटी प्रोदेक्ट के तहत करीब 13 करोड़ रुपए से बुड्ढे नाले के किनारों पर फैंसिंग की जाएगी।
नाले किनारों पर पेड़-पौधों के रख-रखाव के लिए सालाना कांट्रेक्ट बेस पर रखे जाते माली-बलेदार पर 40 लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं।
नाले के किनारों पर दो बायोडायवर्सिटी पार्क डेवलप किए जाएंगे, जिसमें कई तरह के पौधे लगाए जाएंगे।
निगम के तीन एसटीपी अपग्रेड होंगे, डेयरी अवशेष संबंधी ट्रीटमेंट, औद्योगिक गंदे पानी के लिए गुम हुए लिंकों का पता लगाने के लिए सर्वे होगा।
150 करोड़ की लागत से साफ किये प्रदूषित पानी के री-यूज और 283 करोड़ में बुड्ढे नाले के किनारे पर फूल-पौधे लगा सुंदरता बढ़ाने जैसे कार्य शामिल हैं।
एक एकड़ में 220 बाय 198 फीट है नाले का रकबा, मौके पर आधा भी नहीं
रैवीन्यू रिकार्ड को देंखे तो बुड्ढे नाले के 14.87 किलोमीटर हिस्से में कुल 251 एकड़ के लगभग जमीन आती है। इसके तहत एक एकड़ में 220 बाय 198 फीट की लंबाई-चौड़ाई में नाले की शेप कागजों में है, जो मौक पर आधी भी नहीं बची।
अब बुड्ढे नाले को लेकर टास्क फोर्म के चेयरमैन सतगुरु उदय सिंह की अगुवाई में मीटिंग आज सोमवार को रखी गई है। जिसमें बुड्डे नाले की स्टेट्स रिपोर्ट पेश की जाएगी। इसके बाद ही इस पर आगे की कार्रवाई का फैसला लिया जाएगा।
^डीमार्केेशन की रिपोर्ट आते ही कब्जाधारियों को फाइनल नोटिस दिया जाएगा, जिसमें साफ बताया जाएगा कि अगर कोई कागजात हैं तो पेश करें। उसके बाद निगम सीधे जेसीबी का पंजा चलाएगा। कब्जाधारियों में चाहे सरकारी इमारत हो, किसी नेता या किसी अन्य की प्रापर्टी आती हो, सभी पर एक सामान कार्रवाई होगी। -बलकार सिंह संधू, मेयर लुधियाना।
^इंक्रोचमेंट को दूर करना चाहिए, सरकारी इंक्रोचमेंट को भी दूर किया जाएगा। बुड्ढे नाले के डेवलपमेंट को लेकर काम चल रहा है। इसकी ब्यूटीफिकेशन और डेवलपमेंट में कोई रूकावट आएगी तो वो बर्दाश्त नहीं होगी और इंक्रोचमेंट को हटाया जाएगा। -भारत भूषण आशू, मंत्री खाद्य आपूर्ति मंत्री
^बुड्ढे नाले को लेकर प्रदेश सरकार पहले से ही गंभीर है। सर्वे के दौरान इंक्रोचमेंट आने के बाद किसी को भी नहीं बख्शा जाएगा। सौ फीसदी कार्रवाई की जाएगी।
-प्रदीप कुमार, निगम कमिश्नर
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