रायगढ़3 घंटे पहले
- कॉपी लिंक
धनुहारडेरा निवासी प्रवीण गुप्ता अपने घर की छत पर बैठकर पढाई करते हुए।
- स्कूल बंद हैं, घर बैठे पढ़ाई कराने के लिए पोर्टल बना, शिक्षक पढ़ा भी रहे हैं लेकिन 62% रजिस्टर्ड स्टूडेंट्स में से 22% बच्चों को तकनीकी दिक्कतों के कारण नहीं मिल रहा लाभ
कोरोना संक्रमण के खतरे के कारण स्कूल बंद हैं। सरकार ने पढ़ई तुंहर दुआर पोर्टल बनाया। शिक्षक मेहनत कर स्टूडेंट्स को पढ़ा भी रहे हैं लेकिन जिले में तकनीकी और निजी दिक्कतों के कारण रजिस्टर्ड 62 प्रतिशत स्टूडेंट्स में से 22 प्रतिशत बच्चों के पास या तो स्मार्टफोन नहीं है या गांव-घर में नेटवर्क की समस्या है। सरकारी किताबें मिली नहीं हैं, जो बच्चे सेल्फ स्टडी कर सकते हैं वे भी खेल-कूद कर समय काट रहे हैं। शिक्षाविद् कहते हैं इस स्थिति में निचली कक्षाओं के बच्चों को ज्यादा परेशानी नहीं होगी लेकिन हाई और हायर सेकंडरी क्लासेज के स्टूडेंट्स का बेस कमजोर होगा।
भास्कर की टीम ने पढ़ई तुंहर दुआर को लेकर जिले के अलग-अलग हिस्सों में बच्चों से बात की तो उनकी परेशानी सामने आई। स्टूडेंट्स ने बताया कि गांव में नेटवर्क की समस्या होने के कारण वे पढ़ाई में पिछड़ रहे हैं। ऑनलाइन वीडियो बफरिंग की वजह से रुक-रुककर चलता है। आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के पास स्मार्टफोन नहीं है। कुछ परिवार ऐसे भी जिनके घर में एक सदस्य के पास स्मार्टफोन है। ऐसे बच्चों के लिए विभाग के पास कोई उपाय ही नहीं है। स्टूडेंट्स खुद को इस सत्र में पढ़ाई को लेकर चिंतित हैं। गांव में परिवारों को चिंता है। दसवीं और बारहवीं बोर्ड में इन बच्चों का मुकाबला शहर के साधन संपन्न सहपाठियों से होगा। फिर प्रवेश परीक्षाएं भी देनी होंगी।
कनेक्टिविटी के लिए छत या दीवार पर बैठ करते हैं पढ़ाई
1. धनुहारडेरा निवासी प्रवीण गुप्ता कक्षा नौवीं के स्टूडेंट हैं। कहते हैं, गांव में नेटवर्क की समस्या होती है। छत की दीवार पर बैठकर ऑनलाइन पढ़ाई करना पड़ता है। छत के बीच भी चले जाएं तो मोबाइल से सिग्नल चले जाते हैं। वीडियो रुक-रुककर चलता है।
2. दर्रामुड़ा निवासी विनीत साव कक्षा आठवीं का स्टूडेंट है। इनके घर में एक ही र्स्माटफोन है। चाचा अपना स्मार्टफोन लेकर बाहर चले जाते हैं। कभी किसी का फोन आ जाता है। दूसरे सदस्य के पास ऐसा फोन नहीं है। पहचान के एक भैया से पुरानी पुस्तकें ली हैं। उनसे खुद ही पढ़ता हूं।
3. डूमरपाली स्कूल में क्लास थ्री की छात्रा हैं तारिणी साहू, इनके घर में किसी के पास स्मार्ट फोन नहीं है। पिता नीलांबर साहू मजदूरी का काम करते हैं। वह सहेलियों से किताबें मांग कर किसी तरह पढ़ाई कर रही है। जहां दिक्कत होती है वह हिस्सा छोड़ देती है।
संकुलों को किताबें पहुंच गई, लेकिन वितरण नहीं
छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम से जिले को किताबें उपलब्ध कराई जा चुकी हैं। जिले के सभी 128 संकुलों में किताबें पहुंचा दी गई हैं। लेकिन स्टूडेंट्स को अबतक नहीं मिली है। शिक्षा विभाग किताबों के वितरण को लेकर कोई गंभीरता भी नहीं दिखा रहा है। शिक्षक भी मानते हैं कि किताबें हों तो सीनियर या शिक्षित सदस्य बच्चों को पढ़ा सकते हैं। जनरल प्रमोशन भले हो जाए लेकिन कॉन्सेप्ट क्लियर होना चाहिए।
फैक्ट फाइल
38% बच्चे तो पंजीकृत ही नहीं
- कुल विद्यार्थी – एक लाख 94 हजार 813
- पोर्टल में रजिस्टर्ड – एक लाख 21 हजार 762
- रजिस्ट्रेशन का लक्ष्य – एक लाख 52 हजार 209
- इतनों को नेटवर्क की दिक्कत – 14 हजार 834
- इनके पास नहीं है स्मार्टफोन – 27 हजार 770
- परिवार में एक स्मार्टफोन – 16 हजार 471
कॉम्पिटिशन एग्जाम में पिछड़ जाएंगे: नरेंद्र पर्वत, शिक्षाविद
ग्रामीण इलाकों में बच्चों के लिए स्मार्टफोन का अभाव, कमजोर नेटवर्क और रोजाना 6 क्लास में खर्च वाला 6 जीबी डेटा बड़ी समस्या है। सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है, लेकिन इस दौर में हमारे पास कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है। इससे यदि 5 प्रतिशत बच्चों को भी फायदा हो रहा है तो यह बड़ी बात है। 40 प्रतिशत कोर्स घटाने की तैयारी चल रही है। ये हुआ तो बच्चे किसी तरह स्कूली शिक्षा तो पूरी कर लेंगे, लेकिन नेशनल लेवल पर होने वाले इंट्रेंस एग्जाम में पिछड़ जाएंगे। सबसे ज्यादा परेशानी दसवीं और बारहवीं के बच्चों को होगी, इसलिए उन्हें स्वयं से बहुत ज्यादा मेहनत करनी होगी।
सीधी बात
मनींद्र श्रीवास्तव, जिला शिक्षा अधिकारी
घर-घर जाकर किताबें देना संभव ही नहीं
सवाल – ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित हैं स्टूडेंट्स, ये परीक्षा या अगली कक्षा के लिए तैयार कैसे होंगे?
– संसाधनों का अभाव है, हम कोशिश कर रहे हैं, किसी तरह उन तक अपनी पहुंच स्थापित कर सकें।
सवाल – किताबें सकुंलों में रखी हैं, उन्हें बंटवा क्यों नहीं रहे हैं?
– स्कूल बंद हैं इसलिए यही हम भी सोच रहे हैं कि किताबें बंटवाएं, आप बताएं कैसे बांट सकते हैं।
सवाल – मोबाइल, किताबें कुछ नहीं हैं, बच्चों के पास इससे तो उनका साल खराब हो जाएगा?
– हमारा प्रयास है कि हम किसी तरह किताबें बंटवाएं।
सवाल – कितनी किताबें हैं संकुलों में सभी आ गई या फिर कुछ शेष रह गई है?
– कुछ शेष हैं, किस कक्षा और विषय है कि इसकी जानकारी पाठ्य पुस्तक निगम ने नहीं दी है।
0