क्या है मामला
राजधानी इंफाल में पुलिस ने 28 जुलाई को अफसर बृंदा को लॉकडाउन तोड़ने के आरोप में हिरासत में ले लिया था. दो घंटे बाद जुर्माना लेकर उन्हें छोड़ दिया गया. कथित तौर पर बृंदा देर रात गैरजरूरी वजहों से यात्रा कर रही थीं. बता दें कि फिलहाल होम मिनिस्ट्री की गाइडलाइन के मुताबिक नाइट कर्फ्यू में किसी को भी बिना बहुत जरूरी कारणों के बाहर निकलना मना है.
ये वही पुलिस अधिकारी हैं, जिन्होंने सीएम पर आरोप लगाया था कि उन्होंने ड्रग माफिया की जांच में दखल दिया था और माफिया को छोड़ने के लिए उनपर दबाव बनाया था. आरोप इसलिए गंभीर माने गए क्योंकि बृंदा ने ये बात इसी महीने मणिपुर हाईकोर्ट में एक हलफनामा दाखिल करके कही.
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क्या लगाया आरोप
मामला लगभग दो साल पुराना है. नारकोटिक्स एंड अफेयर्स ऑफ बार्डर ब्यूरो में तैनाती के दौरान बृंदा ने जून 2018 में एक हाई प्रोफाइल ड्रग माफिया को गिरफ्त में लिया था. लुहखोसेई जोउ नाम के इस शख्स के पास से भारी मात्रा में ड्रग्स मिला था. इसकी कीमत 29 करोड़ रुपए से ज्यादा आकी गई थी. बाद में बृंदा ने कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि जब वो ड्रग माफिया के खिलाफ कार्रवाई कर रही थी, तभी बीजेपी के एक लीडर ने फोन उनकी सीएम बीरेन सिंह से बात कराई थी. ये ड्रग्स सरगना जिले के प्रभावशाली बीजेपी नेताओं में से है, जिसकी कथित तौर पर खुद सीएम बीरेन सिंह ने पैरवी की.
बृंदा ने ड्रग स्कैंडल में सीएम वीरेन सिंह पर आरोपी की पैरवी का आरोप लगाया है (Photo-facebook)
आरोपी है जेल से बाहर
दो साल बाद दोबारा मामला इसलिए उछला क्योंकि इसी मई में अदालत ने मुख्य आरोपी को अंतरिम जमानत पर छोड़ दिया. इसके बाद बृंदा ने इसकी आलोचना की थी. न्यायपालिका की इस आलोचना के लिए उन पर अवमानना का मामला चलाया जा रहा है. इस अवमानना के मामले के खिलाफ बृंदा ने मणिपुर हाईकोर्ट में एक काउंटर एफिडेविट दाखिल किया, जिसमें उन्होंने ये गंभीर आरोप लगाए हैं. लगभग 18 पन्ने के इस हलफनामे में पुलिस अफसर ने कई नाम लिए हैं.
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उन्होंने बताया कि सीएम की तरफ से कहा गया कि ड्रग माफिया को छोड़कर उसकी जगह उसके बेटे या पत्नी को गिरफ्तार किया जाए. इससे बृंदा ने साफ मना कर दिया. मामला उछलने के बाद विपक्ष भी सीएम पर हमलावर हो गया. हालांकि सीएम सिंह ने कहा कि फिलहाल मामला कोर्ट में है इसलिए वे इसपर टिप्पणी नहीं कर सकते.
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अब लॉकडाउन नियम तोड़ने के आरोप में उन्हें पकड़ा जाना भी बृंदा के मुताबिक इसी वजह से है क्योंकि उन्होंने तब सीएम की बात मानने से मना कर दिया था और कोर्ट में हलफनामे में भी सीएम का नाम लिया. द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक बृंदा ने इसे ड्रग स्कैंडल में सीएम का नाम लिए जाने के कारण मिली सजा बताया.
इस अधिकारी को पुलिस महकमे में बहादुरी और ईमानदारी के लिए जाना जाता रहा है (Photo-facebook)
पुलिस अधिकारी को किया जा रहा परेशान
कथित तौर पर ड्रग माफिया को छोड़ने के लिए सीएम की बात न मानने पर बृंदा को नारकोटिक्स एंड अफेयर्स ऑफ बॉर्डर से ट्रांसफर कर दिया गया और तब से उन्हें कोई काम तक नहीं दिया जा रहा है. साथ ही उन्हें कई दूसरी परेशानियां दी जा रही हैं. जैसे बृंदा ने अपने फेसबुक पोस्ट के जरिए लॉकडाउन तोड़ने के आरोप में अपनी गिरफ्तारी की सूचना दी. उन्होंने बताया कि वे और उनकी दो महिला मित्रों को हथियारबंद दस्ते ने घेर रखा था, जिनके पास एके और सारी बुलेट प्रूफ कारें थीं. बृंदा ने आरोप लगाया कि जब उन्हें इस आरोप में पकड़ा गया तब आसपास से ढेर सारी गाड़ियां गुजर रही थीं, जिन्हें नहीं रोका गया. उन्होंने फेसबुक पर गाड़ियों की वीडियो भी पोस्ट की है.
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मिलता रहा है सम्मान
41 वर्षीय बृंदा 4 बच्चों की मां हैं. उन्हें पुलिस महकमे में बहादुरी और ईमानदारी के लिए जाना जाता रहा है. इससे पहले साल 2018 में ही उन्हें फेडरेशन ऑफ इंडियन चेंबर ऑफ कॉमर्स से ड्रग रैकेट्स के पर्दाफाश के लिए सम्मान मिला था. उसी साल उन्हें गैलेंट्री मेडल भी मिला था. साल 2013 में मणिपुर पुलिस में आई ये अफसर फिलहाल ड्रग्स माफियाओं की लगातार धरपकड़ के कारण कथित तौर पर सजा पा रही हैं. उन्हें नारकोटिक्स विभाग से ट्रांसफर कर दिया गया. लेकिन बृंदा ने अब तक नई पोस्टिंग जॉइन नहीं की है. उनका कहना है कि नाइंसाफी सहने की बजाए टर्मिनेट किया जाना पसंद करेंगी.
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