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- Ayodhya Bhumi Pujan And Nirman; Who Gave Slogan Ram Lala Hum Ayege Mandir Vahi Banayege; All You Need To Know About Baba Satyanarayan Maurya
इंदौर2 घंटे पहले
नरेंद्र मोदी के साथ बाबा मौर्य (बाएं)। बाबा मौर्य ने अमेरिका में 57 बार राम की प्रदर्शनी लगाई।
- बाबा सत्यनारायण मौर्य ने अयोध्या में जगाई थी राम मंदिर निर्माण की अलख, उज्जैन में दिया था यह नारा
- पुलिस से बचते हुए अयोध्या की गली-गली में लिख दिया था यह नारा और उकेरी थी प्रभु श्रीराम की तस्वीर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अयोध्या में 12 बजकर 44 मिनट 8 सेकंड पर शुभ मुहूर्त में राम मंदिर की नींव रखी। करीब 492 साल से मंदिर बनने का सपना देख रहे हर रामभक्त की मुराद पूरी हो गई। मंदिर बनने का सफर बहुत लंबा रहा। इसमें कई रामभक्तों ने अपनी जान दे दी तो कइयों ने अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया। एक ऐसे ही कारसेवक हैं बाबा सत्यनारायण मौर्य। ये घुमक्कड़ बाबा के तौर पर भी पहचानते जाते हैं। फिलहाल, इनका ठिकाना इंदौर, उज्जैन और मुंबई है।
रामभक्ति में लीन रहने वाले बाबा मौर्य शुरुआती दिनों में पढ़ाई खत्म करने के बाद मंदिर आंदोलन से जुड़ गए और अयोध्या की गलियों में राम मंदिर निर्माण की अलख जगाने लगे। पेंटिंग के शौकीन बाबा ने गेरू की मदद से गली, मोहल्लों की हर दीवार पर नारे लिखना शुरू कर दिया। इन्हीं में से एक नारा था- रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे। इस नारे ने हर रामभक्त में एक नई ऊर्जा का संचार किया।
बाबा सत्यनारायण मौर्य देखते ही देखते तस्वीरें बना देते हैं।
सिंघल ने रिकॉर्ड करवाई थी बाबा के गानों और नारों की कैसेट
बाबा मौर्य अंतरराष्ट्रीय कलाकार है। उन्होंने बताया कि उज्जैन में पढ़ाई के दौरान मंदिर आंदोलन से जुड़ने के कारण मैं यहां दीवारों पर नारे उकेरने लगा। 1990 में दोस्तों के साथ अयोध्या की ओर रुख किया। यहां भी दीवारों पर नारे लिखने लगा। मेरे लिखे नारे जब विश्व हिन्दू परिषद के प्रमुख अशोक सिंघल ने पढ़े तो उन्होंने कहा कि इसे आगे बढ़ाएं।
जब बाबा के गाने और कविताओं के बारे में सिंघल को पता चला तो उन्होंने दिल्ली भेजकर गाने और नारों की कैसेट रिकाॅर्ड करवाई। ये नारे बाद में मंच पर गूंजने लगे। इसके बाद बाबा को धीरे-धीरे मंच प्रमुख घोषित कर दिया गया। उज्जैन में आयोजित एक कार्यक्रम में बाबा ने मंच से ही रामलला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे.. नारा दिया था।
अयोध्या में बाबा सत्यनारायण मौर्य ने साथियों के साथ मिलकर बैनर के कपड़े से अस्थाई मंदिर बनाया था।
बाबा बोले – उज्जैन में पुलिस तलाश कर रही थी। मैं बचकर अयोध्या पहुंचा। यहां से भी सरगर्मी से तलाश थी। किसी तरह बचकर मुंबई चला गया।
रक्त देंगे, प्राण देंगे मंदिर का निर्माण करेंगे जैसे नारे लिखे
बाबा बताते हैं कि एक गीत था- सौगंध राम की खाते हैं, हम मंदिर वहीं बनाएंगे। इसे गाते समय कई पंक्तियां जुड़ीं, लेकिन इसमें एक पंक्ति.. रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे… खूब चली। रक्त देंगे, प्राण देंगे मंदिर का निर्माण करेंगे.. जैसे कई नारे दिए। आज मंदिर निर्माण की शुरुआत होने के सवाल पर बाबा कहते हैं कि हम एक सपना देखते हैं उसे पाने के बाद कितने खुश होते हैं। उसी प्रकार मंदिर एक जीवन का सपना नहीं है, कई जीवन का सपना है।
मैंने पूरे राम जन्मभूमि इतिहास की प्रदर्शनी बनाई है। जो स्थाई रूप से लगने वाली है। इसमें जितने लोगों ने काम किया है उन सभी का उल्लेख है। इसमें 76 युद्ध हुए। साढ़े 4 लाख लाेग मारे गए थे। कई लोगों ने पूरा जीवन अर्पित कर दिया। मंदिर समिति की ओर से प्रदर्शनी लगाने का न्योता मिला था, लेकिन जगह कम होने की वजह से इसे बाद में रोक दिया गया।
विश्व हिंदू परिषद के प्रमुख रहे अशोक सिंघल के साथ बाबा माैर्य। बाबा बताते हैं कि सिंघल ने उनको आंदोलन में आगे किया।
बैनर के कपड़े से रामलला का अस्थाई मंदिर बनाया था
मौर्य ने बताया कि जब 92 में ढांचा गिराया गया, उसके पहले से मैं वहां पेंटिंग के लिए मौजूद था। मैंने पूरे अयोध्या में बहुत सारे बैनर लगाए थे। उस समय 4 फीट चौड़ा कपड़ा बहुत कम मिल पाता था, इसलिए मैं उज्जैन से तीन-चार थान कपड़ा लेकर गया था। पीले रंग का कपड़ा तो मैंने बैनर बनाने में इस्तेमाल कर लिया था।
हमें नहीं पता था कि 6 दिसंबर को ढांचा गिराया जाएगा। ढांचा गिरने के बाद जब सरकार ने नए निर्माण पर रोक लगा दी तो कारसेवकों ने कहा कि अब क्या करें। इसके बाद हमने उसी मलबे में तख्त रखकर रामजी को बिठा दिया। इसके बाद पत्थर बराबर किए और लकड़ी गाड़कर बैनर वाले गुलाबी कपड़े से अस्थाई मंदिर बना दिया। इसके बाद हमें दीवार बनाने का मौका मिला तो हमने हाथ से ही ईंट रखना शुरू कर दिया। 8 तारीख को केंद्रीय पुलिस आ गई। सभी बड़े नेता अंडरग्राउंड हो गए।
फोटो मंदिर आंदोलन के दिनों की है, जब राम मंदिर निर्माण के लिए गलियों की दीवारों पर बाबा मौर्य तस्वीरें उकेरते थे और नारे लिखते थे।
प्रोफेसर बनने निकले थे बाबा, बन गए कारसेवक
माैर्य मूलत: राजगढ़ के रहने वाले हैं। बाबा ने एम कॉम किया और एमए गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं। पिता टीचर थे, फिर भाई और दोनों बहनें भी टीचर बनीं। बाबा कहते हैं कि मैं भी टीचर बनने निकला था। लेकिन नौकरी में जाने के बजाय परमात्मा ने मुझे कारसेवक बनाकर अयोध्या पहुंचा दिया।
जब मैं वहां हाफ पैंट और बनियान में घूमता था और लोगों को पता चलता था कि मैं गोल्ड मेडलिस्ट हूं तो वे हंसते थे। बाबा यह बताते हुए बहुत ही फख्र जाहिर करते हैं कि हमने जो अस्थाई मंदिर उस समय बनाया था, वह आज तक बना हुआ है। ढांचा गिराए जाने के बाद मैंने अपनी दाढ़ी कटवा ली थी।
कारसेवकों में नारे लिखकर जोश भरते रहते थे बाबा।
पुलिस का डर था, पर कारसेवा से नहीं डिगे बाबा
बाबा के मुताबिक, जब तक अयोध्या में रहे, लगातार झांकी, आकृति और नारे दीवारों पर बनाते रहे। उस समय यह ध्यान रखना होता था कि कहीं पुलिस तो नहीं आ रही है। इसी खतरे के कारण मैं जल्द से जल्द आकृति बनाने लगा। 6 दिसंबर को जिस मंच पर मैं था, वहां भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी समेत कई बड़े नेता थे। मैं ही उसमें एक ऐसा था, जिसे कोई नहीं जानता था।
प्रसिद्ध नहीं होना ही मेरे बचने का कारण था। क्योंकि उस दिन मंच का संचालन मैंने किया था। पूरे अयोध्या में पेंटिंग मैंने बनाई थी। मंदिर आंदोलन का प्रांत प्रचारक मैं था। रामचरण पादुका की कई कैसेट आंदोलन के लिए बनाई थी। उस समय जो 40 लोग पकड़े गए, वे सभी नेता बन गए। मेरा नाम नहीं था।
अमेरिका में 57 बार लगाई पेंटिंग
बाबा ने बताया कि मैंने 57 बार राम की प्रदर्शनी अमेरिका में लगाई। वेस्टइंडीज में भी प्रदर्शनी लगाई। अशोक सिंघल के साथ 7 साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ काम किया। मध्य प्रदेश चुनाव-प्रचार में मुंबई से आता था। पांच साल तक टीवी में भी काम किया। दुनियाभर में जाने के कारण अब समय नहीं मिल पाता।
परमात्मा के काम के लिए पैदा हुआ हूं, नाम के लिए नहीं। मेरे लिए सबसे बड़ा पुरस्कार यही है कि प्रधानमंत्री नाम से जानते हैं। कई स्टेट के मुख्यमंत्री मुझे सम्मान देते हैं। विदेशों में राष्ट्राध्यक्ष मुझसे मिलते हैं।
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