मैंडैरिन (चीनी)
अंग्रेज़ी बोलने वालों के लिए चीन की इस भाषा को सीखना काफी चुनौतीपूर्ण होता है. मिशिगन यूनिवर्सिटी के चीनी अध्ययन केंद्र में डेविड मोज़र कहते हैं कि सिर्फ अंग्रेज़ी या किसी और भाषा के व्यक्ति के लिए ही नहीं, बल्कि चीनी भाषा स्वतंत्र रूप से मुश्किल है. चीनियों के लिए भी.
इसके पीछे वजहें बताते हुए मोज़र लिखते हैं कि अव्वल तो इस भाषा को लिखने का ढंग बेहद पेचीदा है. खूबसूरत होने के साथ ही ये रहस्यमयी है. इसके अलावा, अक्षरों के अभाव, भाषा के ध्वनि प्रधान न होने, डिक्शनरी में शब्द ढूंढ़ना तक मुश्किल होना, भाषा के टोनल होने जैसे कई कारणों से चीनी भाषा को सीखना कठिन है लेकिन चूंकि यह भाषा दुनिया में सबसे ज़्यादा लोग बोलते हैं इसलिए अगर इस पर कमांड हो जाए तो यह कमाल होगा.
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दुनिया की सबसे प्रचलित भाषाओं की अलग अलग सूचियों में हिंदी अक्सर टॉप 5 भाषाओं में रहती है.
हिंदी
अंग्रेज़ी भाषियों, यूरोपियों या अमेरिकियों की नज़र में हिंदी सीखना टेढ़ी खीर है. इसके कारणों में एक तो हिंदी लिखने की लिपि देवनागरी का कठिन होना और भाषा में जेंडर के आधार पर क्रियाओं, सहायक क्रियाओं, विशेषणों आदि शब्दों और वाक्यों के बदलने जैसे तरीकों को माना जाता है. हालांकि हिंदी को भाषाविज्ञानी यूरोपीय परिवार की भाषा के करीब मानते हैं लेकिन चलन में ये काफी अलग है.
एथनोलॉग के मुताबिक हिंदी दुनिया में पांचवी सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषा है, लेकिन तुलनात्मक रूप से देखने पर इसमें कठिनाई महसूस की जाती है. हिंदीभाषी जब इसकी तुलना अंग्रेज़ी से करते हैं, तो हिंदी को अधिक तार्किक, वैज्ञानिक और सहज पाते हैं. हिंदी में किसी भी शब्द को सुनने, बोलने, लिखने और बोलने में फर्क नहीं है, जबकि अंग्रेज़ी में आप कोई शब्द लिखते कुछ और हैं और बोलते कुछ और.
बहरहाल, कोई भी और भाषा सीखना कभी आसान नहीं होता, लेकिन दिलचस्पी बनाए रखने से एक अनोखी दुनिया ज़रूर मिलती है. हिंदी में फादर कामिल बुल्के, मोनियर विलियम्स, जॉर्ज ग्रियर्सन जैसे कई अंग्रेज़ी भाषी या मूलत: ईसाई रहे विद्वानों की संख्या अच्छी खासी है, जिन्होंने हिंदी में और हिंदी के लिए काफी काम किया है.

दुनिया की आठवीं सबसे प्रचलित भाषा रूसी है. (Pixabay)
रूसी
‘रशियन भाषा सीखना कितना आसान/मुश्किल है?’ इस सवाल के जवाब पर चर्चा करने वाले कोरा के थ्रेड पर स्वेतलाना ने लिखा कि अंग्रेज़ी भाषी के लिए रूसी सीखना एक कठिनाई भरा काम हो सकता है. इसके कारण बताते हुए स्वेतलाना ने लिखा :

दूसरी तरफ, एलेग्ज़ेंड्रे भी ये लिखते हैं कि अंग्रेज़ी बोलने वालों के लिए रूसी सीखना स्पैनिश सीखने से ज़्यादा मुश्किल है लेकिन चीनी भाषा सीखने से सौ गुना आसान है. गौरतलब है कि दुनिया की आठवीं सबसे प्रचलित भाषा रूसी है.

दुनिया की नौवीं सबसे प्रचलित भाषा जापानी है. (Pixabay)
जापानी
बोलने वालों की संख्या के आधार पर दुनिया की नौवीं सबसे ज़्यादा प्रचलित भाषा जापानी है. ‘अंग्रेज़ी भाषियों के लिए जापानी भाषा कितना मुश्किल है?’ कोरा के इस थ्रेड पर साल 2012 में लिखा गया एक जवाब इस तरह मिलता है :
मैंने फ्रेंच, अंग्रेज़ी, स्पैनिश, जर्मन और जापानी के साथ ही करीब 10 और भाषाओं का अध्ययन किया. करीब चार साल पहले मैंने जापानी सीखना शुरू किया था. कुल मिलाकर बात ये है कि जापानी सीखना अन्य भाषाओं की तुलना में तीन से चार गुना समय लेता है, यह बात गलत नहीं है.
इसी चर्चा में एक और जवाब जापानी भाषा के कठिन होने का सबूत इस तरह देता है :

अस्ल में, जापानी भाषा का व्याकरण पहले पहल सरल दिखता है लेकिन इसमें केवल दो टेंस होते हैं. आर्टिकल नहीं होते, विशेषणों का समय, नंबरों और लिंग से कोई संबंध नहीं होता. संज्ञाओं में लिंग का कॉंसेप्ट नहीं है. कुल मिलाकर विदेशियों या विजातीय परिवार की भाषा वालों को जापानी अच्छा खासा हैरान करती है.

अरबी दुनिया की चौथी सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषा है. (Pixabay)
अरबी
किसी अंग्रेज़ी भाषी या एकदम ही अलग भाषा परिवार के व्यक्ति के लिए अरबी भाषा अपनी लिपि, लेखन में स्वरों के अभाव और मुश्किल उच्चारणों के कारण्ण सीखने के लिए बेहद कठिन भाषा साबित हो सकती है. इसके अलावा, यह भी एक मुश्किल पेश आती है कि समुदायों और देशों के हिसाब से अरबी भाषा के कई वर्जन या इसके करीब की कई भाषाएं थोड़े बहुत अंतर से अलग हो जाती हैं.
बोलने वालों को संख्या के आधार पर, अगर अरबी की तमाम बोलियों को मिला लिया जाए तो यह दुनिया की चौथी सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषा है. जर्मन, फ्रेंच, पुर्तगाली, रूसी और जापानी भाषाएं सीखने वाले भाषा प्रेमी रॉबर्ट लैन ग्रीन ने अपने लेख में लिखा कि अरबी सीखना उनके लिए भारी मुसीबत साबित हो रहा था.
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ग्रीन ने लिखा था हालांकि चीनी की तुलना में अरबी सीखना आसान है, लेकिन स्वतंत्र रूप से आसान नहीं है. दाएं से बाएं की तरफ चलने वाली लिपि और शब्दों को लिखने में स्वरों का इस्तेमाल न होना अंग्रेज़ी भाषी को अरबी सीखने में अड़चन पैदा कर सकता है.
कुल मिलाकर बात यह है कि यूरोपीय या अमेरिकी नज़रिये में एशियाई भाषाएं सीखना मुश्किल है, जबकि अंग्रेज़ी बोलने वाले फ्रेंच, इतालवी या स्पैनिश जैसी यूरोपीय भाषाओं को आसान बताते हैं. इसका कारण यही है कि इन भाषाओं की परंपरा में, मूल में समानताएं हैं. जैसे संस्कृत से निकली तमाम भाषाओं को आप आसानी से समझ या सीख पाते हैं. मसलन, हिंदीभाषी को मराठी, बांग्ला या गुजराती जैसी भाषाएं सीखना आसान होता है.
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