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- Electricity Is Being Provided To The Company By Setting Up Solar Plant, Yet 40 Thousand Rupees Are Being Imposed. Bills Up To
- कंपनी को बिजली भी दे रहे और बिल भी भर रहे, इससे हमें हो रहा नुकसान
नैचुरल एनर्जी को बढ़ाने के लिए प्रदेश व केंद्र की सरकारें लाख जतन कर रही है, लेकिन बिजली कंपनी की प्रताड़ना से लाखों रुपए खर्च करके सोलर प्लांट लगाने वाले उपभोक्ता दु:खी हैं। उपभोक्ताओं का दर्द है कि उन्होंने पांच-पांच लाख रुपए खर्च करके सोलर प्लांट लगाए। बिजली बनाकर कंपनी को भी दे रहे हैं, इसके बाद भी कंपनी के अफसर उन्हें 40-40 हजार रुपए का बिल थमा रहे हैं। सोलर प्लांट स्थपित करने वाले लोग अपना कामकाज छोड़कर महीनों तक बिजली कंपनी के चक्कर लगा रहे हैं, बावजूद इसके बिजली बिल में सुधार नहीं हो पा रहा है।
सौलर एनर्जी का उपयोग 2 तरह से किया जाता है। ऑन ग्रिड व ऑफ ग्रिड। ऑफ ग्रिड में आप सोलर प्लांट की बिजली को सीधे घर में ही उपयोग कर सकते हैं। जबकि ऑन ग्रिड में नेट मीटर लगा होता है। जिसमें बिजली कंपनी से ली गई बिजली की यूनिट व सोलर प्लांट से तैयार होकर कंपनी को एक्सपोर्ट की गई बिजली की यूनिट दर्ज होती हैं। इस तरह से बिजली कंपनी उपभोक्ता से ली गई बिजली की यूनिट को मूल बिल में से कम करके बिल दे देती है।
इन 2 उदाहरण से समझिए उपभोक्ताओं की परेशानी
1. कलेक्टर बंगले के नजदीक माहेश्वरी नर्सिंग होम के संचालक डॉ. अवनीश माहेश्वरी ने 5 लाख रुपए से 10 केवी का सौलर प्लांट अपने अस्पताल पर लगवाया। उनके प्लांट से 3 हजार अतिरिक्त यूनिट बिजली का उत्पादन हुआ। जिसे बिजली कंपनी को एक्सपोर्ट किया गया। बावजूद इसके उन्हें अस्पताल में खपत हुई बिजली के एवज में 48 हजार रुपए का बिल थमाया गया। जबकि 3 हजार यूनिट उनके बिल में कम करके जो राशि होती, उतना ही बिल उन्हें दिया जाता। अब वे इस समस्या को लेकर बिजली कंपनी के चक्कर लगा रहे हैं।
2. जीवाजी गंज में रहने वाले व्यवसायी मनोज जैन बताते हैं कि सोलर प्लांट लगाने के लिए पूरी प्रक्रिया ऑन लाइन की जाती है। लेकिन इसके बाद नेट मीटर लगवाने के लिए बिजली कंपनी के अफसर चक्कर लगवाते हैं। यानि मेनुअल काम के लिए बिजली कंपनी के अधिकारी उपभोक्ताओं को प्रोत्साहित करने के बजाए हतोत्साहित करते हैं। जैन का कहना है कि उन्होंने सोलर प्लांट के लिए तीन माह पूर्व ऑनलाइन आवेदन किया था, लेकिन प्लांट का सेटअप जमाने में उन्हें काफी वक्त लग गया।
उपभोक्ताओं को इस तरह से मिलना चाहिए लाभ
मान लीजिए आपने कंपनी की 100 यूनिट बिजली का उपभोग किया। जबकि सौलर प्लांट में तैयार 150 यूनिट बिजली कंपनी को एक्सपोर्ट की गई तो कंपनी को अपने हिस्से की 100 यूनिट सौलर प्लांट से ली गई 150 यूनिट में से माइनस करनी होती है। इस तरह उपभोक्ता की 50 यूनिट बिजली कंपनी में दर्ज रहती है, जिसे अगले बिल में कम करने का प्रावधान है।
नया सॉफ्टवेयर आया है इसलिए हो ही परेशानी
बिजली कंपनी का बिलिंग सिस्टम अपग्रेट करने के लिए नया सॉफ्टवेयर आया है। इस कारण शहर के कुछ सोलर प्लांट नए सॉफ्टवेयर में टेग नहीं हो पाए। मैने वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा करके वर्तमान में सभी सोलर प्लांट टेग करा दिए हैं। आगे से सोलर प्लांट में खपत से अधिक बिजली उत्पादन होने पर बिजली यूनिट संबंधित उपभोक्ता के खाते में क्रेडिट कर दी जाएंगी। अमरेश शुक्ला, महाप्रबंधक बिजली कंपनी मुरैना
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