लुधियाना12 घंटे पहले
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- गिरोह से पहली बार मिली लेजर कारबाइन और 3 हजार बुलेट, एक कारतूस की कीमत 2500 रुपए तक
- 5 पंप एक्शन गन, अमेरिकी पिस्टल समेत जयपाल के 20 विदेशी हथियार भी पकड़े गए
लुधियाना की गिल रोड स्थित आईआईएफएल कंपनी से उत्तर भारत की अब तक की सबसे बड़ी 30 किलो सोने की डकैती को अंजाम देने वाले गिरोह का मास्टरमाइंड कुख्यात गैंगस्टर जयपाल भुल्लर साढ़े पांच माह बाद भी पुलिस के हाथ नहीं लगा। मगर पांच महीने की लंबी जांच के बाद ऑर्गेनाइज्ड क्राइम कंट्रोल यूनिट (ओकू) ने उसके गिरोह के सदस्यों को गिरफ्तार कर उनसे जयपाल के लेजर वैपन समेत 20 के करीब हथियार, 3 हजार के करीब लेजर और अन्य बुलेट समेत 10 साल बाद उसका पहला लेटेस्ट फोटो बरामद किया है, क्योंकि 10 साल से जयपाल पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, राजस्थान, दिल्ली समेत 6 राज्यों में मोस्ट वॉन्टेड है, मगर अभी तक उसका लेटेस्ट फोटो किसी के पास नहीं था।
ओकू टीम लूट के 30 किलो सोने में से करीब 15 किलो बरामद कर चुकी है। वारदात में शामिल तमाम सदस्यों के अलावा जयपाल के बेहद खास सदस्य भी पकड़े गए, जिन पर ओकू ने जयपाल समेत अलग से अनलॉफुल एक्टिविटी और अन्य धाराओं समेत तीन केस दर्ज किए हैं। सोना डकैती की जांच करते ओकू टीम को सबसे अहम बरामदगी लेजर कारबाइन की हुई। संभवत: यह पंजाब में आज तक किसी अपराधी से बरामद नहीं हुई। साथ ही जयपाल का बरामद हुआ लेटेस्ट फोटो भी 10 साल में किसी ने नहीं देखा।
निशान : पगड़ी से छिपाता है माथे पर कट
जयपाल को अंतिम बार होशियारपुर गनहाउस डकैती में 2010 में चंडीगढ़ क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया। पहचान के लिए उसका 10 साल पुराना फोटो, कद 6 फीट 2 इंच, आंखें भूरी, माथे पर कट का निशान, जिसे पगड़ी से छिपाता है। चलते समय टांगे अंदर की तरफ मोड़कर चलता है। अप्रैल 2013 में कोटा बैंक डकैती में इसकी एक फुटेज राजस्थान पुलिस को मिली थी। मगर इसमें जयपाल भुल्लर था या गुरप्रीत सेखों यह साफ नहीं हुआ, क्योंकि दोनों की कदकाठी एक जैसी है। जयपाल फेसबुक, वॉट्सएप का इस्तेमाल नहीं करता न ही कोई फोटो खिंचवाता है, तांकि पहचान न हो। 4 जनवरी 2016 को मोहली में गुरजंट भोलू को पकड़ा तो पता चला कि जयपाल एक सिम को एक कॉल के लिए ही इस्तेमाल करता है। अब उसने मोबाइल इस्तेमाल भी छोड़ दिया, हाईरेंज वॉकीटॉकी सेट इस्तेमाल करने लगा जो लुधियाना डकैती में बरामद हुए। 30 अप्रैल 2016 परवाणू में जसविंदर रॉकी का मर्डर करने पगड़ी बांधकर आया तांकि पहचाना न जाए।
जयपाल के नाम पर नाभा जेल से चंदू एमईएस कॉन्ट्रेक्टर से लेता है रंगदारी
सोना डकैती में गिरफ्तार जयपाल के राइटहैंड गगन जज ने पुलिस जांच में बताया वह नाभा जेल में बंद गैंगस्टर चंदू से वॉट्सएप कॉल के जरिए संपर्क में था। उसके मुताबिक जयपाल का इतना दबदबा है कि उसके नाम पर ही नाभा जेल में बैठकर गैंगस्टर चंदू फिरोजपुर एमईएस में ठेकेदारों से रंगदारी का नेटवर्क चलाता है। एमईएस से होने वाले कांट्रेक्ट में इनका ठेकेदारों से पूरा हस्तक्षेप रहता है। जिन्हें यह गैँगस्टर फाइनल करते हैं, इसके लिए यह ठेकेदारों से लाखों रुपए रंगदारी लेते हैं। खुफिया विभाग इस बारे में 2016 में आर्मी हेडक्वार्टर चंडीगढ़ को पत्र लिखकर सूचित कर चुका है। ओकू नाभा जेल से चंदू को पूछताछ के लिए प्रोडक्शन वॉरंट पर लाई थी। मगर उससे कुछ उगलवा नहीं सके। चंदू के जेल जाते ही उसका मोबाइल फोन जेल में फिर से एक्टिव जरूरत हो गया। लुधियाना जयपाल का गढ़ है और यही से 2004 में इसने चिराग किडनैपिंग से अपराध में कदम रखा। वारदात की प्लानिंग वह यहीं करता है। अपने भाई अमृतपाल को डेढ़ साल लुधियाना में छिपाकर रखा।
साथी से लीड कराई डकैती, खुद साथ बैठा रहा
डकैती में भाई अमृतपाल व कांग्रेस सरपंच गगन जज फिरोजपुर के बिना कोई नहीं जानता था कि यह जयपाल है। वारदात से पहले गगन जज ही जयपाल को अपना दोस्त बताकर फिरोजपुर के गांव पीर मोहम्मद में हरप्रीत सिंह की टाहनी पर लेकर गया, यहां यह दो दिन तक रुके। मगर हरप्रीत नहीं पहचान पाया कि यह जयपाल है, क्योंकि पगड़ी बांधकर व दाढ़ी बढ़ाकर हुलिया बदला था। वारदात करने गए तो जयपाल गाड़ी का ड्राइवर बनकर गया व कार में बैठा रहा, जबकि गगन जज वारदात को लीड करता रहा। ताकि जयपाल पर शक ही न हो। वारदात में शामिल तीन साथी भी उसे पहचान नहीं सके। गगन जज को मोहाली से 33 लाख रुपए समेत और अमृतपाल को 10.441 किलो सोने समेत ओकू ने पकड़ लिया था।
10 मिनट में सोना पिघलाने वाली मशीन खरीदी
सोने की डकैती से ठिकाने लगाने तक पूरी साजिश जयपाल ने पहले ही प्लान कर रखी थी। बठिंडा, मोगा, लुधियाना में रेकी के बाद लुधियाना में सबसे ईजी टास्क चुना। डकैती से पहले ही फिरोजपुर निवासी गुरपाल सिंह के जरिए सोना पिघलाने वाली मशीन खरीदी गई, जिसे पंचकूला में 16 हजार में फ्लैट किराए पर लेकर उसमें इंस्टॉल किया, जिसमें 10 मिनट में एक किलो सोना पिघलाकर उसे ठोस आकार दे दिया जाता था। लूट के बाद इसी से सोना पिघलाया व उसका कुछ हिस्सा लुधियाना में ही ज्यूलरी शॉप पर काम करने वाले सुदामा के जरिए बेच दिया, जिसे ओकू टीम ने रिकवर किया। पंचकूला के फ्लैट से 1.548 किलो सोना व मशीन बरामद हुई। गुरपाल को इस काम के लिए जयपाल ने 260 ग्राम सोना दिया गया, जो बरामद हुआ।
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