इसके साथ ही पूरी दुनिया के लोग यहां के खान-पान, आभूषण और वस्त्र को भी खासा पसंद करते हैं. यह एक ऐसा शहर है, जिसे आधुनिकीकरण (Modernization) के बाद भी अपनी जड़ों और मूल्यों के लिए पहचाना जाता है. यूनेस्को ने जुलाई 2019 में जयपुर की वॉल्ड सिटी को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी (World heritage city) की सूची में शामिल किया है. उसके बाद इसकी खूबसूरत और निखरकर आई है.
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सवाई जयसिंह द्वितीय ने दिया था पिंकसिटी की कल्पना को आकारजयपुर अपनी समृद्ध भवन निर्माण-परंपरा, सरस-संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व के लिए देश दुनिया में खासा प्रसिद्ध है. जयपुर शहर की पहचान यहां के महलों और पुराने घरों में लगे गुलाबी धौलपुरी पत्थरों से होती है जो यहां के स्थापत्य की खूबी है. कछवाहा वंश के महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय द्वारा जयपुर की स्थापना 18 नवंबर, 1727 को की गई थी. राजस्थान की राजधानी होने के अलावा जयपुर राज्य का सबसे बड़ा शहर है. शहर की प्रतिष्ठता अठारहवीं शताब्दी की याद दिलाती है और इसका श्रेय महान योद्धा और खगोल विज्ञानी महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय को जाता है.
हवा महल में कुल 953 खिड़कियां हैं. फोटो सौजन्य- राजस्थान पर्यटन विभाग
‘आइडियल ट्यूरिस्ट डेस्टिनेशन’
जयपुर का गौरवशाली अतीत शहर के महलों और किलों में जीवित है जिसमें शाही परिवार रहा करता था. राजसी किले और हवेलियां, सुंदर मंदिर, शांत परिदृश्य और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत ने जयपुर को पर्यटकों के लिए एक ‘आइडियल ट्यूरिस्ट डेस्टिनेशन’ बना दिया है. शहर का गुलाबी रंग हर किसी के दिल को लुभाने वाला एक रोमांटिक आकर्षण लाता है. पूरी तरह से सुनियोजित तरीके से बसाये गये इस जयपुर में महाराजा के महल, ओहदेदारों की हवेलियां और बाग बगीचे ही नहीं बल्कि आम नागरिकों के आवास और राजमार्ग बनाये गये हैं. गलियों और चौड़ी सड़कों का निर्माण वास्तु के अनुसार और ज्यामितीय तरीके से किया गया है.
जयबाण तोप आज भी सीना ताने इस नगर की सुरक्षा करती महसूस होती है
नगर को सुरक्षित रखने के लिये इसके चारों ओर एक परकोटा बनवाया गया है. पश्चिमी पहाड़ी पर नाहरगढ़ का किला बनवाया गया. पुराने दुर्ग जयगढ़ में हथियार बनाने का कारखाना और पानी का विशाल टांका बनवाया गया. उन्हें देखकर आज के वास्तुकार भी चकित हो जाते हैं. इस कारखाने और अपने शहर जयपुर के निर्माता सवाई जयसिंह की स्मॄतियों को संजोये विशालकाय जयबाण तोप आज भी सीना ताने इस नगर की सुरक्षा करती महसूस होती है.
जयपुर के संस्थापक महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय. फोटो सौजन्य- राजस्थान पर्यटन विभाग
हैरिटेज और अनोखे वास्तुशास्त्र के लिए पूरी दुनिया में पहचाना जाता है
गुलाबी शहर जयपुर अपने हैरिटेज और अनोखे वास्तुशास्त्र के लिए पूरी दुनिया में पहचाना जाता है. कहा जाता है कि कोई भी विदेशी पर्यटक भारत भ्रमण के लिए आता है और अगर वह जयपुर नहीं आया तो उसका भारत भ्रमण अधूरा माना जाता है. इसलिए जयपुर की खूबसूरती देशी-विदेशी पर्यटकों को यहां आने पर मजबूर कर देती है. शहर चारों ओर से दीवारों और परकोटों से घिरा हुआ है. उसमें प्रवेश के लिए सात दरवाजे हैं. बाद में एक और द्वार भी बना जो ‘न्यू गेट’ कहलाया. जंतर मंतर, हवा महल, सिटी पैलेस, गोविंद देवजी का मंदिर, बी एम बिड़ला तारामण्डल, आमेर का किला, जयगढ़ दुर्ग, रामविलास बाग, केंद्रीय संग्राहलय (अल्बर्ट म्यूज़ियम), गुड़िया संग्राहलय, गैटोर, जलमहल, गलताजी, नाहरगढ़ किला, सिसोदिया रानी का महल व बाग और कनक वृन्दावन दर्शनीय स्थल जयपुर को खास बनाते हैं. जयपुर के आकर्षणों में सबसे अहम है सिटी पैलेस. यहां आप आर्ट गैलरी, म्यूज़ियम, आंगन, बगीचा और विशाल महल, दीवान-ए-ख़ास, दीवान-ए-आम, सात मंज़िला चन्द्रमहल, गोविन्द देव मंदिर, म्यूज़ियम, राजस्थानी शैली की चित्रकारी और कारीगरी आदि को देख सकते हैं.
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953 खिड़कियों वाला हवामहल जयपुर की पहचान बन गया है
वहीं ईसवी सन् 1799 में निर्मित हवा महल राजपूत स्थापत्य का मुख्य प्रमाण चिन्ह है. पुराने नगर की मुख्य गलियों के साथ यह पांच मंजिली इमारत गुलाबी रंग में अर्ध अष्टभुजाकार और परिष्कृत छतेदार बलुए पत्थर की खिड़कियों से सुसज्जित है. शाही स्त्रियां शहर का दैनिक जीवन और शहर के जुलूस देख सकें इसी उद्देश्य से इमारत की रचना की गई थी. हवा महल में कुल 953 खिड़कियां हैं. इन खिड़कियों से जब हवा एक खिड़की से दूसरी खिड़की में होकर गुजरती हैं तो ऐसा महसूस होता है जैसे पंखा चल रहा है. आपको हवा महल में खड़े होकर शुद्ध और ताज़ी हवा का पूरा एहसास होगा.
दाल बाटी और चूरमा हर किसी को लुभाता है
जयपुर एक अनोखा शहर है. यह अपनी आधुनिक बसावट के कारण दुनियाभर में जाना पहचान रखता है. इसके साथ ही यहां का खान पान भी सबसे अलग और अनोखा है. रंगीले राजस्थान की तरह ही इसकी राजधानी जयपुर का खान पान भी रंग बिंरगा ही है. खाने में तेज मसाले और चटपटा होना इसकी पहचान है. कचौड़ी, मिर्ची बड़ा और जलेबी यहां के पारम्परिक नाश्ते का हिस्सा है. यहां पर मिलने वाली थाली में दाल बाटी चूरमा, बाजरे की रोटी, गट्टे की सब्जी और अचार सभी कुछ लिया जा सकता है. वहीं जयपुर की स्वादिष्ट मिठाई घेवर पूरी दुनियां में प्रसिद्ध है. खासतौर पर घेवर तीज और गणगौर के पर्व पर बनाया जाता है.
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल शान बन चुका है जयपुर की
देश ही नहीं दुनियाभर के अहम हिस्सों से एयर कनेक्टिविटी रखने वाले जयपुर को फेस्टवल सिटी के नाम से भी जाना जाता है. गुलाबी शहर जयपुर में पूरे वर्षभर नेशनल और इंटरनेशनल फेस्टिवल आयोजित होते रहते हैं. इसमें काफी संख्या में देश-विदेशी पर्यटक राजधानी जयपुर पहुंचते हैं. इनमें से जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल ने गुलाबी शहर की अंतरराष्ट्रीय ख्याती को और बढ़ाया है. जेएलएफ में पूरी दुनिया के साहित्यकार, लेखक, चिंतक, गीतकार, कवि और राजनेताओं सहित हॉलीवुड से लेकर बॉलीवुड की जानी-मानी हस्तियां मंच साझा करते नजर आते हैं. वहीं गणगौर और तीज माता की शाही सवारी को देखने के लिए काफी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक यहां पहुंचते हैं. फिल्म थियेटर राजमंदिर यहां की अनूठी शान रहा है. यहां की खूबसूरत लोकेशन फिल्मकारों को यहां आने पर मजबूर कर देती है. ना जाने कितनी ही फिल्मों की यहां शूटिंग हो चुकी है. शूटिंग के लिहाज से जयपुर आज फिल्म मेकर्स की पहली पसंद है.
जयगढ़ दुर्ग. फोटो सौजन्य- राजस्थान पर्यटन विभाग
बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक सबके किरदार है यहां
वहीं जयपुर के कलाकारों ने देश ही नही विदेश में भी कला के जरिए अपनी खास पहचान बनाई है. इनमें जयपुर के इरफान खान एक अहम किरदार थे. इरफान ने इसी शहर की गलियों से निकलकर बॉलीवुड ही नहीं हॉलीवुड में भी अपने दमदार अभिनय से खास छाप छोड़ी. नामचीन हास्य अभिनेता असरानी ने बॉलीवुड में अपने अभिनय कला का जबर्दस्त लोहा मनवाया है. इसके साथ फिल्म, थिएटर और संगीत के क्षेत्र में गीतकार हसरत जयपुरी, गजल गायक हुसैन बंधु, संगीत के सबसे बड़े अवॉर्ड ग्रैमी अवॉर्ड से नवाजे गए मोहन वीणा वादक विश्वमोहन भट्ट, कालबेलिया नृत्यांगना गुलाबो सपेरा और युवा अभिनेता मोहित दुबे ने अपना अहम योगदान देकर जयपुर का मान बढाया है.
जेम्स एवं ज्वैलरी का खजाना है गुलाबीनगरी
जेम्स एवं ज्वैलरी का जयपुर खजाना है. यहां के जैम्स और ज्वैलरी की ख्याति वर्ल्ड वाइड है. इस कारोबारों से हजारों लोग जुड़े हैं और सैंकड़ों करोड़ रुपयों का व्यापार होता है. कपड़े के जयपुर के सांगानेरी प्रिंट की अपनी अलग पहचान है. आज जयपुर में वर्ल्ड ट्रेड पार्क जैसे ना जाने कितने ही अल्ट्रा मॉर्डन व्यापारिक केन्द्र हैं.