- बाबूलाल के मामले में स्पीकर न्यायाधिकरण से नोटिस मिलने से उलझी भाजपा
विनय चतुर्वेदी, स्पीकर न्यायाधिकरण द्वारा बाबूलाल मरांडी के भाजपा में शामिल होने को दलबदल के दायरे का मामला मानकर नोटिस दिए जाने से भाजपा उलझ गई है। पार्टी फिलहाल तीन विकल्पों पर विचार कर रही है। बदली राजनीतिक परिस्थितियों में भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी भी उलझन में हैं। उनके सामने विधानसभा अध्यक्ष के न्यायाधिकरण में केस लड़ने, विधायक दल के नेता का पद छोड़ने या दुमका उपचुनाव लड़ने का विकल्प है। विस अध्यक्ष के न्यायाधिकरण का चक्कर उन्हें छोड़ नहीं रहा है। पिछली सरकार में भी जेवीएम के छह विधायकों के भाजपा में शामिल होने पर मरांडी करीब चार साल तक न्यायाधिकरण में अपने तर्क देते रहे, जाे अंत में खारिज हो गए।
एक बार फिर वर्तमान सरकार में वे पार्टी के विलय और खुद के भाजपा में शामिल होने पर तर्क देते देखे जाएंगे। विस अध्यक्ष ने दलबदल को लेकर उन्हें नोटिस भेजा है। राज्यसभा चुनाव के समय भाजपा विधायक के रूप में वोट करने के बाद भी विस अध्यक्ष ने उन्हें भाजपा सदस्य नहीं माना है। ऐसे में यह स्पष्ट है कि नेता प्रतिपक्ष बनने की उनकी राह अब आसान नहीं रही। इस बीच भाजपा भी इस मुद्दे पर नए सिरे से विचार करती दिख रही है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा है कि पार्टी इस विषय को चुनाव में जनता के बीच ले जाएगी। मरांडी को लेकर इसे पार्टी का एक संकेत समझा जा सकता है कि वह तीसरे विकल्प को लेकर संजीदा हो रही है।
तीन विकल्पों पर विचार… तीनों विकल्प पर चर्चा के बाद होगा निर्णय
विकल्प-1 झाविमो के भाजपा में विलय काे न्यायाधिकरण में सिद्ध करें…बाबूलाल अगर यह विकल्प आजमाते हैं तो उन्हें लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ सकती है। ऐसा भी हो सकता है कि मामला तीन साल से ज्यादा चले। वे दलील देंगे कि उन्होंने अपने दल के दो विधायकों को पूर्व में पार्टी से निष्कासित किया था, उसके बाद उन्होंने भाजपा में विलय किया, पर विधानसभा अध्यक्ष इसे मान ही लेंगे, वर्तमान रवैये को देखते हुए ऐसा नहीं लगता। यह भी आशंका है कि इस सुनवाई के क्रम में मरांडी की सदस्यता भी जा सकती है।
राष्ट्रीय नेतृत्व से कहें-किसी और को विधायक दल का नेता चुन लें
विकल्प- 2 मरांडी के पास दूसरा विकल्प है कि वे भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व से कहें कि किसी दूसरे को पार्टी विधायक दल का नेता चुन लिया जाए। पर, इस प्रस्ताव को स्वीकार करना भाजपा के लिए अपमानजनक होगा। मरांडी को एक विशेष उद्देश्य से पार्टी विधायक दल का नेता बनने का प्रस्ताव दिया गया था। पार्टी हर हाल में चाहेगी कि उसका यह उद्देश्य सफल हो। ऐसे में इस प्रस्ताव को स्वीकार करना उसके लिए पराजय के समान होगा।
हेमंत को संथाल विरोधी बता भाजपा बाबूलाल को दुमका उपचुनाव लड़ाए
विकल्प-3 दूसरे को विधायक दल का नेता बनाने के प्रस्ताव को नहीं मान भाजपा स्वयं बाबूलाल को यह प्रस्ताव दे कि वे दुमका उपचुनाव लड़ें। ऐसा होने पर भाजपा सीएम हेमंत सोरेन को संथाल विरोधी बताते हुए उपचुनाव जीतना चाहेगी। ऐसे में भाजपा की कोशिश होगी कि मरांडी दुमका उपचुनाव जीत कर सदन में आएं और फिर नेता प्रतिपक्ष बनें। इस प्रकार भाजपा एक मनोवैज्ञानिक लाभ लेना चाहेगी। पूर्व में मरांडी ऐसा कर भी चुके हैं। पर, भाजपा और मरांडी दोनों के लिए यह उपचुनाव उतना आसान भी नहीं है।
शीघ्र होगी भाजपा कोर कमेटी की बैठक
शीघ्र ही पार्टी की कोर कमेटी की बैठक होगी, जिसके निर्णय के आलोक में आगे का रास्ता निकलेगा। वैसे, इस पूरे प्रसंग में हेमंत सरकार का आदिवासी और संथाल विरोधी चेहरा उजागर हुआ है। विधानसभा के नोटिस के आलोक में पार्टी कानून विदों से राय ले रही है। हम सरकार के इस गलत रवैये का पुरजोर तरीके से विरोध करेंगे। नेता प्रतिपक्ष समेत अन्य विषयों पर पार्टी की कोर कमेटी की शीघ्र ही बैठक होगी, जिसमें ठोस निर्णय लिया जाएगा। – दीपक प्रकाश, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा
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