![पुलिस व जनता के बीच समन्वय के लिए लगेंगे ग्राम रक्षक, जीएसटी की अपील का समय बढ़ाया करदाताओं को दी गई राहत पुलिस व जनता के बीच समन्वय के लिए लगेंगे ग्राम रक्षक, जीएसटी की अपील का समय बढ़ाया करदाताओं को दी गई राहत](https://images.bhaskarassets.com/thumb/720x540/web2images/521/2020/08/25/orig_29_1598305883.jpg)
जयपुर11 घंटे पहले
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सरकार ने राजस्थान मदरसा बोर्ड विधेयक के जरिये मदरसों को संवैधानिक दर्जा देने की पहल की है
- भाजपा के हंगामे के बीच सवा 4 घंटे में 13 विधेयक पारित हुए
- राजस्थान माल और सेवा कर तृतीय संशोधन विधेयक
विधानसभा में सोमवार को 13 विधेयक पारित हो गए। इसमें से 10 संशोधन और 3 नए विधेयक थे। सदन में हंगामा होने से विधेयकों पर लंबी चर्चा नहीं हो सकी। जीएसटी में संशोधन कर अब नोटिस की अनुपालना, जवाब देने व अपील करने का समय बढ़ाकर करदाताओं को राहत दी गई है। जबकि सरकार ने राजस्थान मदरसा बोर्ड विधेयक के जरिये मदरसों को संवैधानिक दर्जा देने की पहल की है। सदन में पास हुए कुछ प्रमुख विधेयकों में क्या है, आप भी जानिएं…
राजस्थान माल और सेवा कर तृतीय संशोधन विधेयक
जीएसटी काउंसिल की अनुशंषा पर ही अधिनियम के 13 खंडों में संशोधन किए है। विधेयक में कंपोजीशन स्कीम, प्रक्रियागत सरलीकरण, वॉलेंटियर रजिस्ट्रेशन के कैंसिलेशन तथा आईटीसी का उपयोग करने के लिए समय सीमा में संशोधन किया है। विधेयक में कपटपूर्वक अन्य के नाम पर फायदा उठाने वाले पंजीकृत व अपंजीकृत व्यक्ति के विरूद्ध दण्ड का प्रावधान किया है। अधिनियम की धारा 172 के तहत रिमूवल ऑफ द डिफिकल्टी ऑर्डर जारी किए हैं, जिसकी समय सीमा भी 2 वर्ष बढ़ाई गई है। बिजनेस एसेट्स प्रावधानों को भी स्पष्ट किया है।
राजस्थान स्टांप संशोधन विधेयक
विधेयक में धारा 3-ख के अधीन संगृहीत अधिभार का अब तक उपयोग गाय और उसकी नस्ल के संरक्षण और संवर्धन के प्रयोजन के लिए किया जाता है। अब इसका उपयोग सूखा, बाढ़, महामारी, लोक स्वास्थ्य अत्याअवश्यक्ताओं, अग्नि इत्यादि जैसी प्राकृतिक या मानव-निर्मित आपदाओं के समाधान के लिए किया जा सकेगा। वहीं राजस्थान पुलिस (संशोधन) विधेयक के जरिए ग्राम रक्षकों के लिए मानदेय का प्रावधान किया है तथा उनकी ऊपरी आयु सीमा बढ़ाई है।
राजस्थान उद्यम एकल खिड़की सामर्थ्यकारी और अनुज्ञापन (संशोधन) विधेयक: उद्योगों के अनुकूल माहौल बनाने के लिए 2011 में सिंगल विंडो एक्ट बनाया था। उसके बाद इसमें संशोधन किया गया। औद्योगिक सलाहकार समिति ने इसे और ज्यादा प्रभावी बनाने की सिफारिश की। इसके बाद इन्वेस्टमेंट बोर्ड का गठन किया जा रहा है। राज्य में औद्योगिक अनुकूल माहौल बनेगा और देश में राजस्थान की रैंकिंग सुधारने में मदद मिलेगी।
राजस्थान माल और सेवा कर द्वितीय संशोधन विधेयक
करदाताओं को राहत देने के उद्देश्य से नोटिस की अनुपालना, जवाब प्रस्तुत करने की अवधि, अपील फाइल करने आदि के समय को बढ़ाकर 31 अगस्त किया है। अब 20 मार्च 2015 से 15 अप्रैल 2020 के बीच जारी हुई ई-वे बिल की वैधता अवधि 31 मई 2020 तक बढ़ाई गई है।
विधि मंत्री शांति धारीवाल ने बताया कि केन्द्र सरकार के माल और सेवा कर अधिनियम 2017 में कई कमियां रही है, इसलिए बार-बार संशोधन लाया गया है। कोविड महामारी के प्रसार को देखते हुए समय सीमा के विस्तार सहित कतिपय उपबंधों को शिथिल करने के उद्देश्य से राजस्थान माल और सेवा कर अधिनियम 2017 में नयी धारा 168 क अंतः स्थापित की जानी प्रस्तावित है।
राजस्थान कृषि उपज मंडी द्वितीय संशोधन विधेयक
व्यापारी राज्य के मण्डी क्षेत्र में अन्य राज्यों से अधिसूचित कृषि उपज लाते हैं किन्तु वे मण्डी फीस इस आधार पर संदत्त नहीं करते है कि संव्यवहार राज्य के बाहर किया गया था। राजस्थान कृषि उपज मण्डी अधिनियम, 1961 (1961 का अधिनियम सं. 38) में इसके संबंध में कोई स्पष्ट उपबंध नहीं हैं, यद्यपि व्यापारियों द्वारा अन्य राज्यों से लाई गयी ऐसी उपज पर मण्डी फीस संदेय है क्योंकि क्रय की प्रक्रिया राज्य के भीतर पूरी की जाती है। इसलिए व्यापारियों द्वारा अन्य राज्यों से राज्य के मण्डी क्षेत्र में लाई गयी अधिसूचित कृषि उपज पर मण्डी फीस का संदाय सुनिश्चित करने के लिए राजस्थान कृषि उपज मण्डी (संशोधन) विधेयक, 2020 लाया गया है।
राजस्थान पुलिस (संशोधन) विधेयक
पुलिस और आमजन के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए ग्राम रक्षक नियुक्त किए जाएंगे। जिनकी न्यूनतम आयु को 30 साल से बढ़ाकर 40 साल किया है। इस संशोधित विधेयक के माध्यम से राजस्थान पुलिस अधिनियम 2007 की तीन धाराओं में परिवर्तन किया गया है। पहले स्थानीय निकायों के कर्मचारी और भूतपूर्व सैनिकों को ग्राम रक्षक बनाने का प्रावधान था, लेकिन इनकी संख्या कम होने के कारण अब इन्हें नहीं बना सकते।
उन्होंने बताया कि कोई भी व्यक्ति जो आठवीं पास है और न्यूनतम 40 वर्ष उम्र है, उसे ग्राम रक्षक बनाया जा सकेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इनका कार्यकाल दो वर्ष का होगा तथा धारा 53 के तहत इन्हें उचित मानदेय देने का प्रावधान है।
राजस्थान महामारी विधेयक
राजस्थान संक्रामक रोग अधिनियम, 1957 संक्रामक रोगों के फैलाव के निवारण हेतु उपबंध करता है। किन्तु इस महामारी की रोकथाम हेतु निवारक और उपचारात्मक उपाय करने के लिए और अधिक सुधारात्मक कदम उठाये जाने आवश्यक थे।
अब राजस्थान महामारी अध्यादेश- 2020 लगाया गया है। राजस्थान महामारी (संशोधन) अध्यादेश-2020 द्वारा उक्त अध्यादेश की धारा 11 संशोधित की गयी थी। दोनों अध्यादेश को समेकित करने के बाद राजस्थान महामारी विधेयक-2020 प्रस्तावित किया जा रहा है।
राजस्थान मदरसा बोर्ड विधेयक
प्रदेश में 2003 में मदरसा बोर्ड का गठन किया गया था। अब इस विधेयक से मदरसों को वैधानिक दर्जा मिल पाएगा। इससे प्रदेश में 1 लाख 94 हजार अध्ययनरत बच्चों को दी जा रही तालीम की गुणवत्ता में बढ़ोतरी होगी।
विस इतिहास का सबसे कलंकित दिन
विधानसभा में साेमवार का दिन इतिहास में कलंकित दिन रहा। सदन में विधानसभा अध्यक्ष बार – बार टोकते रहे। राजसमंद की सदस्य जब भिखारी पुनर्वास विधेयक बोल रही थी तो उन्हें बोलने से रोका। यह पहली बार हुआ है कि जनमत जानने के लिए दिए गए प्रस्ताव पर हमें नहीं बोलने दिया गया। इतने कम समय में इतने सारे विधेयक पास कराना सरकार की मंशा पर सवाल उठाते है। इसमें गड़बड़ी की आशंका है। – राजेंद्र राठाैड़, उपनेता प्रतिपक्ष
1 ही दिन में इतने विधेयक रखकर घास काट दी
विधानसभा का सबसे प्रमुख काम बिल पास करना है। लेकिन एक ही दिन में इतने सारे विधेयक रखकर घास काटने का प्रयास किया गया। पहले आठ बिल रखे गए और फिर सोमवार को पांच नए बिल जोड़ दिए गए। हमने कार्य सलाहकार समिति की बैठक में इसका विरोध किया था कि इस तरह कौन इन बिलों को पढ़ पाएगा और कौन चर्चा कर पाएगा।
हम बीएसी से बाहर भी आ गए। आठ बिलों पर भी सदन में नहीं बोलने दिया गया। विधायक किरण माहेश्वरी को बोलने से रोका गया तो राजेंद्र राठौड़ ने वेल में आकर इसका विरोध किया। धक्का – मुक्की हुई, हम अपनी लीगल राइट की बात कर रहे थे। – गुलाबचंद कटारिया, नेता प्रतिपक्ष
भाजपा को इतनी ही चिंता है तो केंद्र से बकाया पैसा दिलाए: धारीवाल
शांति धारीवाल ने कहा कि केंद्र ने जीएसटी एक्ट में संशोधन किया है, उसी के अनुरूप राज्य सरकार संशोधन लेकर आई है। महामारी फैलने के कारण कुछ प्रोविजन का वक्त बढ़ाया है। केंद्र ने खामियां छोड़ दी, इससे बार बार संशोधन लाने पड़ रहे है और 6980.54 करोड़ आज भी हमारा बकाया है जो केंद्र सरकार नहीं दे रही है। भाजपा विधायकों को इतनी ही चिंता है तो केंद्र से बकाया पैसा दिलाए। – शांति धारीवाल, संसदीय कार्य मंत्री
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