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दो साल में 90 लाख रुपए में बेचा 50 हजार लीटर नकली घी, लॉकडाउन में कारोबार आधा हुआ तो नए ग्राहक तलाश रहा था आरोपी, पुलिस ने बोगस ग्राहक बनकर पकड़ा

संजयग्राम by संजयग्राम
01/09/2020
in समाचार
0

सीकर6 घंटे पहले

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  • दोनों आरोपी तीन दिन के रिमांड पर, कच्चा माल, सिलेंडर-भट्‌टी जब्त, बड़े गिरोह का हो सकता है खुलासा

(कुलदीप पारीक) कांवट में पकड़े गए नकली घी के कारखाने के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। आरोपी मधुसुदन शर्मा व घनश्याम सैनी दो साल में 50 हजार लीटर से ज्यादा नकली घी बेच चुके हैं। शाहपुरा थानाधिकारी राकेश ख्यालिया ने बताया कि ज्यादातर घी सरस डेयरी जयपुर और अलवर के नाम से दोनों जिलों में सप्लाई किया जाता था। औसतन हर महीने दो हजार लीटर घी सप्लाई किया जा रहा था। लॉकडाउन में डिमांड आधी हो गई। ऐसे में मधुसुदन ग्रामीण इलाकों और बाजार में नए ग्राहक तलाश कर रहा था।

यह सूचना शाहपुरा एसएचओ तक पहुंची। शाहपुरा पुलिस ने बोगस ग्राहक बनकर मधुसुदन से बात की। घी की गाड़ी आने और जाने के समय पर निगरानी शुरू की। कार्रवाई में मधुसुदन व रामसर निवासी गाड़ी चालक घनश्याम सैनी पकड़े गए। सोमवार को दोनों को कोर्ट में पेश किया। जहां से तीन दिन के रिमांड पर सौंपा गया। कांवट कारखाने से कच्चा माल, सिलेंडर, भट्‌टी आदि जब्त किए गए हैं। मामले में पुलिस को बड़े गिरोह के सुराग मिले है।

दो साल से कारोबार, लोकल पुलिस को भनक तक नहीं

4500 लीटर घी के साथ आरोपी पकड़े जाने के बाद नकली घी बनाने के अवैध कारखाने का खुलासा हुआ। दो साल से नकली घी का कारखाना चलने के बावजूद लोकल पुलिस को भनक तक नहीं लगी। पुलिस की मिलीभगत पर भी सवाल उठ रहे हैं।

टीन के बाद शुरू की छोटी पैकिंग
नकली घी के कारखाने में पहले टीन पैक किए जाते थे। इसके बाद छोटी पैकिंग भी शुरू कर दी गई। ज्यादातर माल बड़ी खपत वाले स्थान, हलवाई आदि को नकली बताकर सप्लाई किया जाता था। ये चार किलो असली घी में चार किलो नकली घी मिलाकर सामान बनाते थे।

अधिकृत डीलरशिप और डेयरियों की आड़ में चल रहा है नकली घी और दूध का कारोबार, जिम्मेदार प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने नहीं दिखाई सख्ती

कांवट में तैयार होने वाला नकली घी सरस, लोट्स व नॉवा के ब्रांड में पैकिंग में 180 रुपए लीटर के थोक भाव में बेचा जाता था। अलवर-जयपुर के बड़े व्यापारी इससे जुड़े हुए हैं। मधुसुदन दो साल में 50 हजार लीटर नकली घी बाजार में खपा चुका है। थोक भावों के आधार पर ही इसकी कीमत 90 लाख रुपए आती है। जिले में नकली घी और मिलावटी दूध के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।भास्कर पड़ताल में सामने आया कि मिलावट का पूरा कारोबार डेयरी की आड़ में चल रहा है। बड़े स्तर पर मिलावट के मामले सामने आने के बावजूद प्रशासन के स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

50 फीसदी मुनाफे के लालच में बढ़ा नकली घी का कारोबार
कारखाने में 120 रुपए में प्रति लीटर की लागत पर नकली घी बनाया जा रहा था। इस घी को दुकानदारों और बड़ी खपत वाली जगह 50 फीसदी मुनाफा जोड़कर महज 180 रुपए में बेचा जा रहा था। सरस, लोट्स और नॉवा घी की बाजार कीमत 400 से 500 रुपए प्रति लीटर है। दुकानदार भी कम कीमत पर माल बेचते थे।

नकली घी की यूं करें पहचान
यूनिक नंबर : नकली पैकेट पर एक ही यूनिक नंबर लगे हुए थे। जबकि असली घी के हर पैकिट पर अलग-अलग यूनिक नंबर आते हैं।
पैकिंग : नकली घी की पॉलिथीन डिब्बे में सीधे अंदर डाली जाती है। असली पैकिंग में यह पॉलिथीन ऊपर की तरह चिपकी हुई होती है
शुद्ध : नकली घी के डिब्बे पर शुद्धता शब्द नहीं लिखा हुआ है। असली घी की पैकिंग पर बड़े अक्षरों में शुद्ध घी लिखा हुआ आता है।

1 महीने में 3 बड़े मामले, फिर भी नहीं उठाए सख्त कदम

जिलेभर की जिम्मेदारी सिर्फ 1 एफएसओ के भरोसे
जिले में खाद सामग्री की दुकानें हैं। इनमें बड़ी संख्या में डेयरियां हैं। लेकिन इनकी जांच के लिए जिले में महज एक फूड सेफ्टी ऑफिसर है। कोर्ट तारीख, ऑफिस वर्क सहित अन्य कामकाज के साथ सैंपल लेने का काम एक व्यक्ति के जिम्मे है।

प्रशासनिक और विभागीय स्तर पर सख्ती नहीं दिखाई
एक महीने में तीन बड़े मामले सामने आने के बावजूद प्रशासनिक और स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की ओर से कोई सख्त कदम नहीं उठाए गए।

चार मामलों से समझें, डेयरी की आड़ में कैसे चल रहा है काला कारोबार

1. चितौड़गढ़ सरस डेयरी की फर्जी पैकिंग में 15 दिन सीकर दूध सप्लाई होता रहा है। 35 हजार लीटर दूध बेचने और दूध फटने के बाद ुलासा हुआ। दूध सरस डेयरी के अधिकृत परिवहन ठेकेदारों के वाहनों से बूथ संचालकों तक पहुंचाया गया। 2. फतेहपुर में मिलन डेयरी से खरीदे 100 किलो दूध को गर्म करने वह रबड़ जैसा हो गया। स्वास्थ्य विभाग की टीम का कहना है कि सैंपल की जांच जल्द से जल्द एक हफ्ते में मंगवाई जाएगी। ताकि स्थिति साफ हो सके। 3. कांवट में सोमवार को नकली घी बनाने की फैक्ट्री पकड़ी गई। 450 लीटर नकली घी पकड़ा गया। नकली घी कारखाने का संचालक भी लोट्स डेयरी का अधिकृत डीलर है। 4. सालभर पहले भी सीकर नानी बाइपास पर मिलावटी दूध का मामला पकड़ा गया था। गिरोह से जुड़े लोग मिल्क पाउडर, ग्लूकोज, वनस्पति ऑयल से दूध बनाते थे। इन लोगों के जरिए भी किसान के हवालें से डेयरियों पर दूध सप्लाई किया जाता था।

शिकायत : ठेकेदार ने सुबह का दूध शाम को किया सप्लाई
सोमवार को सरस डेयरी के ठेकेदार ने एक दर्जन विक्रेताओं को सुबह का 200 लीटर से ज्यादा दूध शाम को सप्लाई कर दिया। विक्रेताओं ने बताया कि एमडी केसी मीणा को सूचना दी गई। विक्रेता राकेश, उमाशंकर मिश्रा, राजेंद्र शर्मा ने बताया कि एमडी ने सुनवाई नहीं की तो आरसीडीएफ के अधिकारियों को शिकायत भिजवाई गई।

ठेकेदार ने सुबह की सप्लाई में लंबे रूटों से बचाया हुआ दूध सीकर शहर में शाम को सप्लाई कर दिया है। सुबह की सप्लाई में 1 सितंबर की पैकिंग का दूध दिया गया था। शाम को 2 सितंबर लिखा दूध आना चाहिए था लेकिन 1 सितंबर की दूध की पैकिंग ही सप्लाई कर दी। एमडी केसी मीणा का कहना है कि उनके पास ऐसी शिकायत नहीं आई।

जांच : मिलावटी दूध के मामले में विभाग की टीम ने लिए पांच सैंपल
कस्बे में 100 किलो दूध फटने के मामले में स्वास्थ्य विभाग की टीम को दो दिन पहले लिए गए सैंपल की जांच रिपोर्ट का इंतजार है। क्योंकि रिपोर्ट के बाद ही तय हो पाएगा कि दूध में किसी तरह की मिलावट थी या नकली दूध सप्लाई किया गया था। खाद्य सुरक्षा अधिकारी रतनलाल गोदारा ने बताया कि सोमवार को खूडी, रसीदपुरा की ओर से आने वाले दूध के सैंपल लिए गए।

मिलन दूध डेयरी, राज डेयरी व लक्ष्मी दूध डेयरी से दूध का सैंपल लिया। दो पिकअप गाड़ियों से सैंपल लिया। इधर, मिलन डेयरी संचालक सांवरमल का कहना है कि सोशल मीडिया पर गलत वीडियो वायरल हो रहा है। उसमें खराब दूध की मात्रा करीब 30 लीटर है। बाकी 70 लीटर दूध की कोई जानकारी नहीं है।

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