चातुर्मास में भगवान शिव पृथ्वी का भ्रमण करते हैं. इसलिए सावन में शिव की पूजा की जाती है.
Jyotirlinga Temples Of India: सावन मास में भगवान शिव की पूजा -अर्चना करने का विशेष महत्व है. इस महीने में 12 ज्योतिर्लिंगों में जितने ज्यादा का नाम लिया जाए और दर्शन किया जाय उतना पुण्य आदमी को मिलता है.भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में त्र्यम्बकेश्वर आठवां ज्योतिर्लिंग है.
त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग
त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग नासिक के पास स्थित है. पौराणिक कथा में इस बात का उल्लेख है कि भदवान शिव यहां प्रकट हुए थे. त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग में कालसर्प दोष और पितृदोष की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि जिन लोगों की जन्म कुंडली में ये दोष पाया जाता है, वह व्यक्ति त्र्यंबकेश्व में आकर पूजा करे तो यह दोष समाप्त हो जाता है.
कथा में क्या है त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग का वर्णनपौराणिक कथाओं में त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में अदभुद वर्णन मिलता है. कथा के अनुसार यहां ब्रह्मगिरी पर्वत पर देवी अहिल्या के पति ऋषि गौतम रहते थे, लेकिन किसी कारणवश यहां के दूसरे ऋषि उनसे ईष्या करने लगे. ऋषियों ने एक बार गौतम ऋषि पर गोहत्या का आरोप लगा दिया. इसके बाद ऋषियों ने गौतम ऋषिक को कहा कि आपको पाप का प्रायश्चित करना पड़ेगा. इसके लिए यहां पर गंगा का पानी लाना होगा.
इस पर गौतम ऋषि ने शिवलिंग की स्थापना की और भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या करने लगे. तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर और माता पार्वती ने उन्हें दर्शन दिये. शिवजी ने गौतम ऋषि से वर मांगने के लिए कहा. तब गौतम ऋषि ने गंगा माता को इस स्थान पर उतारने का वर मांगा. वहीं गंगा माता ने कहा कि वे तभी इस स्थान पर उतरेंगी जब भगवान शिव यहां रहेंगे. तभी से भगवान शिवजी यहां पर त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप निवास करने लगे. त्र्यंबकेश्वर मंदिर के पास से ही गंगा नदी अविरल बहने लगी. इस नदी को यहां गौतमी नदी (गोदावरी) के नाम से भी जाना जाता है.
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग क्यों है खास
नासिक के नजदीक स्थित त्र्यंबकेश्वर मंदिर भगवान शिव का अति प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर में तीन शिवलिंगों की पूजा की जाती है. इनको ब्रह्मा, विष्णु और शिव के नाम से जाना जाता है. मंदिर के पास तीन पर्वत स्थित हैं, जिन्हें ब्रह्मगिरी, नीलगिरी और गंगा द्वार कहा जाता है. ब्रह्मगिरी पर्वत को भगवान शिव का स्वरूप माना जाता है. वहीं नीलगिरी पर्वत पर नीलाम्बिका देवी और दत्तात्रेय गुरु का मंदिर है और गंगा द्वार पर्वत पर देवी गोदावरी मंदिर है. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)
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