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- The Danger Of Flash Flood Remains In The District, The Opinion Of Experts The Implementation Of The Action Plan Should Be Done On The Basis Of Past Experiences
बिहारशरीफ15 घंटे पहले
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- मॉनसून के दौरान होने वाली आपदाओं की जोखिम को कम करने के लिए राज्य आपदा प्राधिकरण और यूनिसेफ का कार्यक्रम आयोजित
- डूबने की आशंका के मद्देनजर बच्चों और पशुओं को बाढ़ के पानी में नहीं जाने की भी विशेषज्ञों ने दी सलाह
मॉनसून के दौरान होने वाली संभावित आपदाओं के जोखिम न्यूनीकरण एवं प्रबंधन को लेकर सोमवार को बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण एवं यूनिसेफ द्वारा संयुक्त रूप से जिला एवं प्रखंडस्तरीय पदाधिकारियों व पंचायत प्रतिनिधियों के लिए ऑनलाइन अभिमुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम आपदा जोखिम न्यूनीकरण ई अकादमी के पटल से कार्यान्वित किया गया।
कार्यक्रम में मानसून की अवधि में घटित होने वाली संभावित आपदाओं के जोखिम न्यूनीकरण एवं प्रबंधन को लेकर विशेष रूप से चर्चा की गई। डूबने , नाव दुर्घटना, सर्पदंश, वज्रपात, स्वास्थ्य संबंधी आपदाओं (कोविड-19 सहित), छोटे बच्चों का स्वास्थ्य एवं पोषण प्रबंधन, डायरिया, स्वच्छ पेयजल प्रबंधन, वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल, व्यक्तिगत स्वच्छता, पशु स्वास्थ्य प्रबंधन आदि के बारे में संबंधित विषय के विशेषज्ञों द्वारा विस्तृत रूप से जानकारी एवं प्रबंधन के उपाय बताए गए।
बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष व्यास जी ने कहा कि नालंदा जिले में फ्लैश फ्लड की संभावना रहती है। जिससे निपटने के लिए विगत वर्षों के अनुभवों के आधार पर कार्य योजना का क्रियान्वयन किया जाना चाहिए। आपदा प्रबंधन के लिए राज्य सरकार द्वारा लगातार संसाधन एवं प्रचार सामग्री उपलब्ध कराया जाता है। इस संबंध में “क्या करें क्या ना करें” से संबंधित जानकारी का भी व्यापक रूप से प्रचार प्रसार सभी माध्यमों से किया जाता है। कहा कि सभी जनप्रतिनिधि भी अपने स्तर से लोगों को जागरूक करते रहें।
पूर्व तैयारी करने पर जोर
त्वरित सूचना का संकलन एवं उस पर तत्परता से कार्रवाई कर तटबंधों को समय रहते सुरक्षित किया जा सकता है। इन परिस्थितियों में समुदाय के वल्नरेबल लोगों की मदद प्राथमिकता से की जानी चाहिए। उन्होंने गर्भवती महिलाओं की सूची पहले से ही तैयार कर आपदा की अवधि में सुरक्षित प्रसव के लिए व्यवस्था सुनिश्चित करने की सलाह दी।मोबाइल मेडिकल टीम का भी गठन पहले से कर इसे हमेशा तैयार स्थिति में रखने को कहा। बाढ़ की स्थिति में बच्चों पर विशेष रूप से ध्यान देने पर भी जोर दिया।
इन विषयों पर भी ऑनलाइन की गई चर्चा
आपदा जोखिम न्यूनीकरण पदाधिकारी यूनिसेफ बंकू ने आपदा में समुदाय की भागीदारी तथा स्वास्थ्य एवं पोषण से संबंधित तैयारियों के बारे में, यूनिसेफ के घनश्याम मिश्र द्वारा बाल सुरक्षा व पेयजल एवं स्वच्छता संबंधित समस्याओं एवं सावधानियां, बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के डॉक्टर पल्लव द्वारा बाढ़ के दौरान शिक्षा के संदर्भ में तैयारियां , एसडीआरएफ के केके झा द्वारा सर्प दंश प्रबंधन एवं सुरक्षा , बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की डॉ मधुबाला द्वारा वज्रपात जोखिम शमन एवं प्रबंधन के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी गई।
इस कार्यक्रम में उप विकास आयुक्त राकेश कुमार सहित अन्य जिला स्तरीय पदाधिकारी, सभी सीओ एवं पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधि ऑनलाइन माध्यम से जुड़े थे। इस दौरान उन लोगों के कई मुद्दों पर अपने विचार भी साझा किए। ऑनलाइन आयोजन के बाद लोगों ने बताया कि ऐसे आयोजनों से काफी लाभ मिलता है। विशेषज्ञों से काफी नई तकनीक की जानकारी और ज्ञान मिलती है। जिससे की आपदा के काल में कार्य करने में हमलोगों को बढ़िया अवसर मिलेगा।
कोरोना की जांच बढ़ने से संक्रमित मरीजों की भी संख्या बढ़ी
कोरोना संक्रमण को लेकर उन्होंने कहा कि टेस्टिंग का दायरा बढ़ने से पॉजिटिव मामलों की संख्या बढ़ी है। संक्रमण से बचाव ही सबसे बेहतर उपाय है। बचाव के लिए सभी लोगों को मास्क का उपयोग एवं सोशल डिस्टेंसिंग का अनिवार्य रूप से पालन करना होगा। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत स्तरीय जनप्रतिनिधियों के माध्यम से भी लोगों में जागरूकता लाने की आवश्यकता है। प्राधिकरण के सदस्य पीएन राय ने भी अपने संबोधन में आपदा पूर्व तैयारी पर जोर दिया। व उन्होंने कहा कि आपदा से पूर्व अच्छी तैयारी करने से आपदा के जोखिम को कम करने में सहूलियत होती है। आपदा प्रबंधन के लिए समुदाय के लोगों को भी जागरूक होना होगा। प्रशासनिक एवं सामुदायिक समन्वय से हम आपदा के जोखिम को कम कर सकते हैं।
अतिवृष्टि, लू, वज्रपात आदि के संबंध में मौसम विभाग द्वारा पूर्व जानकारी एवं चेतावनी दी जाती है। इस जानकारी का स्थानीय समुदाय के बीच समय रहते प्रचार प्रसार होना चाहिए। इसके लिए गांव के कंप्यूटर के जानकार व्यक्ति की सहायता भी स्थानीय स्तर पर ली जा सकती है। उन के माध्यम से मौसम विभाग के वेबसाइट से लगातार किसी संभावित आपदा की पूर्व जानकारी प्राप्त कर समुदाय के बीच इसका प्रसार किया जाना चाहिए। पहला प्रयास आपदा को रोकने और उसके बाद उसके इफेक्ट को कम करने के लिए तैयारी पर बल देना चाहिए।
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