जोधपुर19 मिनट पहले
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- लक्ष्मी ने भाई के बच्चों को मां बन पाला, जज-डॉक्टर बनाने के सपने देखे
- पाक शरणार्थी परिवार के 11 लोगों के खात्मे में एक कहानी यह भी
मां कौन है…? इसका जवाब देचू के लोड़ता अचलावतां में आठ परिजनाें के साथ मारे गए तीन मासूमों के लिए लक्ष्मी ही था। वाे ही लक्ष्मी, जिसने अपने भाई केवलराम के बच्चों में 5 साल की दीया को मां के दूध के बिना पाला… जब-जब तबीयत बिगड़ी डॉक्टरों के पास लेकर भागी… 12 साल के दयाल को डॉक्टर व जज बनाने के लिए पढ़ाया… और 10 साल के दानिश की भी जिंदगी संवारने में जुटी थी…। उसी लक्ष्मी ने जब अपने परिवार पर हुए जुल्मों की दास्तां का वीडियो बनाया तो इन मासूमों से उनकी ही मां को कातिल कहलवाया और मौत का रास्ता चुनने का एलान भी करवा दिया।
वह इसलिए, क्योंकि लक्ष्मी का परिवार यही मानता था कि बच्चे तो पिता की संपत्ति होते हैं, मां का उन पर कोई अधिकार नहीं। लक्ष्मी को इन बच्चों के खुद से छीन जाने का डर सताता था। भाभी के साथ भी इसी बात का विवाद चल रहा था। जब उसका डर बढ़ गया तो उसने इन बच्चों से भी उनकी जिंदगी छीन ली।
लक्ष्मी ने अपनी डायरी में एक अध्याय भतीजों-भतीजी के प्रेम पर भी लिखा
दरअसल, लक्ष्मी ने अपनी आपबीती और जिंदगी के दर्द को जिस डायरी व वीडियो में बयां किया है, उसमें भाई केवलराम के तीनों बच्चों का भी एक पूरा अध्याय है। लक्ष्मी के मुताबिक दीया जब पैदा हुई तो उसकी भाभी धांधली (दादी) ने उसका बुरा हाल कर रखा था।
उसकी जिंदगी खराब करने की जो कोशिशें की गई, उसकी पूरी जानकारी उसने डायरी में लिखी है। वीडियो में लक्ष्मी ने बताया कि वह मासूम को अपने पास ले आई। जोधपुर के एमडीएम अस्पताल में भर्ती करवा इलाज करवाया।
जब-जब इसे कुछ होता, दूसरे अस्पताल व डॉक्टर्स के पास लेकर दौड़ती थी। 20 दिन की दवाई का खर्च 1000 रुपए आता था। पिछले 3 साल से उसकी दवा बंद नहीं होने दी। यह मासूम भी दवा खाकर अब परेशान हो गई थी। दयाल और दानिश, दोनों को निजी स्कूल में पढ़ा रही थी।
इन्हें तान आती थी तो रामदेवरा ले जाकर बाबा की फेरी लगाती थी। पाकिस्तान और जोधपुर, दोनों जगह बुरे इंसान मिले, लेकिन इन्हें अच्छा इंसान बनाना चाहती थी। मैंने दादी के तीनों बच्चों को पाला है और वही मुझे मरवाना चाहती थी। इन मासूमों को इतने साल बचा कर रखा।
वीडियो में बच्चे बोले- मां कातिल है, हमें उसके कारण ही मरना पड़ रहा…
लक्ष्मी ने अपनी आपबीती सुनाने के साथ सबसे बड़े भतीजे दयाल से कहलवाया कि दादी (धांधली) हमारी मां नहीं, कातिल है। हमारी पढ़ाई बर्बाद कर दी। स्कूल जाते तो वहां से उठवाने की कोशिश कर अपने पास लाने की कोशिश करती। घर पर ही पढ़ाई करनी पड़ रही थी। उसके कारण ही मरना पड़ा है। वहीं, छोटे भतीजे दानिश ने भी अपनी मां को लेकर ऐसे ही आरोप लगाए।
पाक मीडिया में चल रही झूठी खबरें- भारत से लौटने की इच्छा, पासपोर्ट जलाने के झूठे दावे
पड़ाेसी देश पाक भारत से जुड़े किसी मामले में अपनी हरकताें से बाज नहीं आता। देचू मौत मामले को लेकर भी वहां की मीडिया झूठी खबरें चला रहा है। पाकिस्तान के मीडिया द्वारा चलाई खबरों में किसी पाकिस्तान हिंदू काउंसिल के पेट्रॉन इन चीफ रमेश कुमार के हवाले से आरोप लगाए जा रहे हैं कि बेहतर जिंदगी की तलाश में भील परिवार हिंदुस्तान गया था।
उनकी आत्महत्या या हत्या हुई होगी तो उसकी जिम्मेदारी भारत सरकार की थी। इसी तरह एक अन्य के हवाले से कहा जा रहा है कि भारत में कई अनुसूचित जाति के पाक विस्थापितों को हिंदुस्तान में नागरिकता का इंतजार है। कुछ पाकिस्तानी ट्वीट में दावा किया जा रहा है कि- भील परिवार वापस पाकिस्तान लौटना चाहता था, लेकिन हिंदुस्तान के अफसरों ने उनके पासपोर्ट ही जला दिए।
इस दर्द की कोई सीमा नहीं; एक बेटी हिंदुस्तान, दूसरी पाकिस्तान में, बिलख रहे भाणजे का क्रंदन-मौसी लौट आओ

भारत
लोड़ता अचलावतां गांव में एक ही परिवार के 11 जनों की मौत का दर्द बचे सदस्यों के लिए जिंदगी भर न भूलने वाला मर्ज बन गया है। यह दर्द न कोई दूसरा महसूस कर सकता है और न ही माप सकता है। परिवार में अब एक भाई-बहन हिंदुस्तान में है तो एक बहन व उसका परिवार पाकिस्तान में।

पाकिस्तान
मृतक बुधाराम की बड़ी बेटी मखणी देवी पाकिस्तान के सिंध प्रांत में रहती है तो उससे छोटी वाली मलका यहीं चामू एरिया में एक कृषि फार्म पर काम करती है। घटना में उसके दो बच्चे भी मौत की नींद सो गए थे। पुलिस व रिश्तेदारों के अत्याचारों के कारण परिवार खत्म हो गया तो अब भारत में मलका देवी विलाप करते करते बेसुध हो जाती है। उसे संभालते संभालते पड़ोसियों का हौसला भी जवाब दे रहा है।
यही हाल पाकिस्तान में रह रही मलका की बड़ी बहन मखणी देवी का है। वह 2018 में भारत आई थी। यहां 15 दिन परिवार के साथ रही। घटना के दूसरे दिन उसके पति भंवराराम सिंध में बाजार गए तब सुना कि भारत गए बुधाराम का पूरा परिवार खत्म हो गया। तब से उसका भी रो-रोकर बुरा हाल है।
केवलराम कभी खुद को प्लानिंग में शामिल बता रहा तो कभी बयान से पलट रहा
- लक्ष्मी की डायरी गायब होने की आशंका थी, पुलिस को नहीं मिल रही
- मुख्यालय तक मंडोर पुलिस की तथ्यात्मक रिपाेर्ट भेजी
देचू के लोड़ता गांव में पाक विस्थापित परिवार के 11 सदस्यों की मौत से एक दिन पहले परिवार की बेटी लक्ष्मी ने वीडियो बनाकर जिस डायरी का जिक्र किया, पुलिस को वह मौके पर नहीं मिली। ऐसे में पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आखिर वो डायरी किसके पास थी। उल्लेखनीय है कि लक्ष्मी ने अपने वीडियो में कहा था कि वो डायरी में पुलिस और भाई केवल के ससुराल वालों का पूरा कच्चा चिट्ठा लिख रही है।
इसे पुलिस के हाथ लगने पर गायब होने की आशंका भी जताई थी। पुलिस अधीक्षक (जोधपुर ग्रामीण) राहुल बारहठ ने बताया कि घटनास्थल पर सुसाइड नोट ही मिला था। लक्ष्मी की लिखी डायरी के बारे में पुलिस के पास जानकारी नहीं है। इसके बारे में पता लगाया जा रहा है।
इसके साथ ही बालेसर स्थित प्राइवेट हॉस्पिटल में काम करने वाली नर्स प्रिया उर्फ प्यारी के बालेसर में किराए के कमरे की तलाशी भी उसके परिजनों की मौजूदगी में ली जा रही है। इसकी वीडियोग्राफी कराने के आदेश भी जांच अधिकारी को दिए गए हैं। बारहठ के अनुसार अब तक की पड़ताल में यही सामने आया है कि घटनास्थल के कमरे के बाहर जो चावल मिले थे, वो राखी के दिन बनाए गए थे। घटना वाली रात को सब्जी रोटी बनने की जानकारी एकमात्र जीवित बचे केवलराम से मिली है।
एसपी बारहठ ने बताया कि पूछताछ़ में केवलराम कभी खुद को प्लािनंग में शामिल होने और शव घर के अंदर ले जाने की बात बता रहा है, तो कुछ देर बाद ही इस बयान से पलट भी रहा है। कहता है कि मुझे कुछ याद नहीं है। बारहठ ने बताया कि केवलराम की मानसिक स्थिति को देखते हुए पुलिस उसे सहज रखने की कोशिश कर रही है।
मौके पर मिला सुसाइड नोट सुमन का लिखा होने की संभावना
पुलिस को घटनास्थल से जो सुसाइड नोट मिला, उसकी हैंड राइटिंग बालेसर के कमरे में मिली डायरी से मिलती-जुलती लग रही है। पुलिस का अनुमान है कि सुमन के हाथ की लिखी इस डायरी में उर्दू व अंग्रेजी की लिखावट है। हालांकि इस डायरी का इस केस से कोई संबंध नहीं है, लेकिन इस डायरी की लिखावट और सुसाइड नोट से मिलान के लिए एफएसएल भेजा जाएगा। इसके अलावा जिन बच्चों की मौत हुई है, उनकी कॉपियां इत्यादि भी ली हैं, ताकि लिखावट के मिलान में जरुरत पड़ने पर उपयोग किया जा सके।
घटना से तीन-चार दिन पहले ही कीटनाशक खरीदने की आशंका
पुलिस की अब तक की पड़ताल में सामने आया कि विषाक्त कैमिकल ‘रॉकेट’, जिसके इंजेक्शन लगाए जाने से इन सभी 11 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। इस कैमिकल को लाने वाले व्यक्ति और बेचने वाले दुकानदार के बारे में पता लगाने की कोशिश की जा रही है।
हालांकि, प्रारंभिक जानकारी के अनुसार घटना से तीन-चार दिन पहले ही कीटनाशक खरीदा गया था। इतना ही नहीं, घटनास्थल वाले कमरे के आसपास और भीतर भी चूहों के बिल दिखाई दे रहे थे। ऐसे में केमिकल का नियमित उपयोग होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
केवलराम के ब्लड सैंपल जांच से होगी नींद की गोलियों की पुष्टि
पुलिस सूत्रों के अनुसार सुसाइड नोट में केवलराम के डरपोक होने का उल्लेख था। उसे नींद की गोलियां खिलाए जाने की बात भी लिखी थी। इसकी पुष्टि करने के लिए केवलराम के खून का नमूना भी लिया गया है। उसके खून की जांच रिपोर्ट मिलने के बाद ही इसकी पुष्टि हो पाएगी कि उसे नींद की टेबलेट दी गई थी या नहीं।
न बयान देने आती, न किसी कागज पर ही करती थी साइन: पुलिस
भील परिवारों के बीच विवाद की शुरुआत तो कई वर्षों पहले हो गई थी। जोधपुर पुलिस कमिश्नरेट में इस संबंध में एक-दूसरे के खिलाफ परिवाद देने की शुरुआत 2019 में हुई थी। इनमें अब तक की गई कार्रवाई के संबंध में विस्तृत तथ्यात्मक रिपोर्ट भी पुलिस मुख्यालय को भेजी गई है। डीसीपी (ईस्ट) धर्मेंद्रसिंह यादव के अनुसार सबसे पहले केवलराम की पत्नी धांधलीदेवी ने 11 मार्च 2019 को महिला थाने में शिकायत दी थी।
इसमें पति, ननदों के खिलाफ प्रताड़ित करने की बात लिखी थी। महिला थाने में महिला सुरक्षा सलाह केंद्र ने दोनों पक्षों को बुलाकर बातचीत की, तो 13 मार्च को दोनों पक्षों में समझौता हो गया। इसमें केवलराम, उसकी पत्नी धांधली और लक्ष्मी ने लिखित में दिया था।
16 जुलाई 2019 को लक्ष्मी ने मंडोर थाने में परिवाद दिया। इसमें केवलराम की पत्नी व उसके पीहर वालों पर परेशान करने के आरोप लगाए थे। इसकी जांच शुरू हुई, तो धांधलीदेवी ने भी एक परिवाद दिया। इन दोनों की जांच के बाद पुलिस ने दोनों पक्षों को पाबंद करने के लिए 29 जुलाई को इस्तगासा दायर किया। लेकिन लक्ष्मी पेश नहीं हुई। उसे कई बार समन जारी हुए, लेकिन लगातार अनुपस्थित रहने पर 24 जुलाई 2020 को लक्ष्मी के खिलाफ जमानती वारंट जारी हुआ। ये वारंट भी वो तामील नहीं करवा रही थी।
30 जुलाई 2020 को लक्ष्मी एक नया परिवाद लेकर मंडोर थाने पहुंची। यहां महिला डेस्क प्रभारी कांस्टेबल दुर्गा ने उससे परिवाद लेकर पूरी बात सुनने के बाद अग्रिम कार्रवाई के लिए ड्यूटी ऑफिसर हैड कांस्टेबल रामपाल को बताया। रामपाल को पता था कि लक्ष्मी के खिलाफ बेलेबल वारंट जारी हो रखा है, तो उन्होंने इसकी तामील कराने की बात कही, तो लक्ष्मी बिफर पड़ी। वहां से भागने की कोशिश की। इस पर उसे शाम 5:51 बजे शांतिभंग के आरोप में गिरफ्तार किया और शाम 7:15 बजे मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश भी कर दिया गया।
दोनों पक्षों के बीच विवाद जारी रहा और इसी क्रम में 7 अगस्त को धांधली देवी मंडोर थाने पहुंची। उसने परिवाद देकर बताया कि उसकी ननद लक्ष्मी, सुमन व अन्य ने ससुराल में रहने के दौरान कई बार मारपीट की थी। सुमन हाथ पकड़ लेती और लक्ष्मी मारपीट करती थी। दो दिन तक तो उसे भूखे रखा गया।
इसी तरह उसकी मौसेरी बहन शरीफा के साथ भी अत्याचार करने, तीन बच्चों को बंधक बनाकर रखने, पासपोर्ट को जबरन कब्जे में रखने व मांगने पर भी नहीं देने के आरोप लगाए थे। मंडोर पुलिस इसकी जांच शुरू करती, उससे पहले अगले ही दिन दो दिवसीय लॉकडाउन लग गया। लॉकडाउन अवधि खत्म होने के साथ ही 11 जनों की मौत की सूचना मिली थी।
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