एनडीआरएफ ने पहले मेकशिफ्ट अस्पताल का संचालन शुरू किया
एनडीआरएफ (NDRF) कमांडेंट प्रदीप श्रीवास्तव के मुताबिक, इस अस्पताल (Hospital) को बनाना हमारी पहली प्राथमिकता थी जिसके बाद संक्रमण कम करने के जो भी कदम हैं वह आने वाले दिनों में उठाए जाएंगे.
एनडीआरएफ कमांडेंट प्रदीप श्रीवास्तव के मुताबिक, इस अस्पताल को बनाना हमारी पहली प्राथमिकता थी जिसके बाद संक्रमण कम करने के जो भी कदम हैं वह आने वाले दिनों में उठाए जाएंगे. जिसमें रोबोटिक सर्जरी और रोबोटिक मेडिकल इंटरवेंशन प्रमुख हैं. सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर एन गोपालकृष्णन जिनकी देखरेख में ये अस्पताल तैयार हुआ है वो रोबोटिक सर्जरी और रोबोटिक मेडिकल इंटरवेंशन को कोरोना काल में आम जनता के इलाज के लिए अहम हथियार मानते हैं. उनका कहना है कि अभी इलाज के इस तरीके को सिर्फ चुनिंदा जगहों पर देखा जा सकता था, लेकिन अब यह चिकित्सकीय संस्थानों की जरूरत बनता जा रहा है और वो भी तमाम एजेंसियों को इस प्रक्रिया के इलाज की सलाह देते हैं.
क्या है रोबोटिक सर्जरी और रोबोटिक मेडिकल इंटरवेंशन
जैसा कि नाम से ही जाहिर होता है कि रोबोट के जरिए अस्पतालों और मेडिकल संस्थानों में इस तकनीक से इलाज किया जाता है. रोबोटिक मेडिकल इंटरवेंशन में तमाम तरीके की मेडिकल सर्विस जैसे वार्ड ब्याय, नर्सिंग स्टाफ, सपोर्ट स्टाफ की सर्विस रोबोट के जरिए संचालित करवाई जाती हैं. जबकि रोबोटिक सर्जरी में सर्जरी जैसी जटिल प्रक्रिया को रोबोट अंजाम देता है. रोबोट में एक प्रोग्राम फीड किया जाता है और उसे रिमोट कंट्रोल के जरिए संचालित किया जाता है.क्या कहना है विशेषज्ञों का
डॉक्टर आशीष सिंह जो कि पटना में अनूप इंस्टीट्यूट आफ आर्थेपेडिक्स एंड रीहैबिलिटेशन के संचालक हैं उनका कहना है कोरोना के इस दौर में जब लोग अस्पताल जाने के नाम से ही डर रहे हैं तो रोबोटिक सर्जरी एक कारगर तरीका है लोगों को उपयुक्त इलाज मुहैया करवाने का. इसीलिए वो भी उत्तर भारत में पहली बार रोबोटिक आर्म सर्जरी का सिस्टम ला रहे हैं..इससे रोबोट की मदद से हड्डी के इलाज में सर्जरी जैसी जटिल प्रक्रिया को अंजाम दिया जा सकेगा.
क्या हैं रोबोटिक्स इलाज के फायदे?
डॉक्टर आशीष सिंह के मुताबिक, रोबोटिक इलाज प्रक्रिया में हर मरीज को को कस्टमाइज़ इलाज मिलेगा. यानि थ्री डी तकनीक से पहले उसका प्रोफाइल तैयार किया जाएगा फिर उसको उसकी जरूरत के मुताबिक इलाज दिया जाएगा. रोबोटिक सर्जरी प्रक्रिया में मरीज को कम अवधि के लिए अस्पताल में रहना पड़ता है और मरीजों के इलाज के दौरान सिर्फ रोबोट और रोबोट आपरेटर को ही रहना पड़ता है जिससे संक्रमण की संभावनाएं बिलकुल कम हो जाती हैं. इस प्रक्रिया से जुड़े इलाज करने वालों का दावा है कि इलाज के दौरान मरीज को कम खून निकलता है और गलती की संभावना बेहद कम रहती है. यही नहीं रोबोटिक सर्जरी प्रक्रिया के इलाज की कीमत भी सामान्य सर्जरी के इलाज की कीमत जितनी ही होगी..रोबोटिक मेडिकल ट्रीटमेंट का इस्तेमाल करनेवाले चिकित्सकों ने इसे भारत सरकार के आयुष्मान योजना से भी जोड़ा है.
भारत में कैसे उपयोग हो रही है रोबोटिक इलाज की तकनीक
कोरोना संक्रमण फैलते ही गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश के कुछ अस्पतालों ने रोबोट के इस्तेमाल की शुरुआत की. इनके साथ आईटीबीपी ने भी ग्रेटर नोएडा में अपने कोविड केयर सेंटर में रोबोट का इस्तेमाल किया. संक्रमण काल के इस दौर में फिलहाल इन रोबोट को वार्ड ब्याय यानि एक मरीज के बाद दूसरे मरीज तक सामान पहुंचाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. आईटीबीपी प्रवक्ता विवेक पांडेय के मुताबिक कोरोना संक्रमण के इस दौर में इलाज के लिए अब रोबोट की भूमिका बढ़ाने का वक्त आ गया है और अगर निजी अस्पतालों ने सर्जरी जैसी जटिल चिकित्सा प्रक्रिया के लिए रोबोट इस्तेमाल की शुरुआत की है तो आनेवाले दिनों में सरकारी संस्थानों को भी इस प्रक्रिया को अपनाने की प्रेरणा मिलेगी और सब मिलकर कोरोना का मजबूती से मुकाबला करेंगे.