पालतू पशुओं से निकलती है मीथेन
ग्लोबल वार्मिंग की चर्चाओं के बीच कुछ साल पहले वैज्ञानिकों ने पाया कि गायों से काफी मात्रा में मीथेन निकलती है. नासा (National Aeronautics and Space Administration) की रिपोर्ट के अनुसार एक गाय के डकारने से सालभर में 80 से 120 किलो तक मीथेन गैस निकलती है. ये उतनी ही है, जितनी एक फैमिली कार के सालभर चलने पर निकलने वाली कार्बन. दूसरे कई पालतू जानवरों से भी मीथेन निकलती है. माना जाता है कि दुनिया की कुल जहरीली गैसों में लगभग 14 प्रतिशत गैस का उत्सर्जन गायों, बकरी, सुअर, भेड़ के कारण होता है. उनकी डकार और फार्ट से काफी गैस निकलती है.
cow farts & burps are no laughing matter. they release methane, contributing to climate change. that’s why we’re working to change our cows’ diet by adding lemongrass to reduce their emissions by approximately 33%. learn about our ongoing study: https://t.co/kPCXpjfbGL #CowsMenu pic.twitter.com/DnmF8gVVL0
— Burger King (@BurgerKing) July 14, 2020
क्या है वैज्ञानिक कारण
सभी जानवरों और इंसानी आंतों में भी अरबों-खरबों बैक्टीरिया होते हैं जो खाने के पाचन में मदद करते हैं. खाने का कुछ हिस्सा पच नहीं पाता तब यही बैक्टीरिया उसे पचाने के लिए विटामिन k और विटामिन B में बदल देते हैं. इस प्रक्रिया में बैक्टीरिया गैस निकालते हैं. ये गैस मीथेन गैस कहलाती है, जो ग्रीनहाउस गैस के तहत आती है.
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यहां ये भी बता दें कि ग्रीनहाउस गैसें वो होती हैं, जो सूरज की गरमी लेकर धरती को गर्म कर रही हैं. यानी खाने के बाद उसे पचाने के लिए गाय की जुगाली और इस प्रक्रिया में आती डकारें धरती को गर्म कर रही हैं.
ग्लोबल वार्मिंग की चर्चाओं के बीच पालतू पशुओं पर भी गौर किया जा रहा है (Photo-pixabay)
गायों को क्यों आती है ज्यादा डकार
गायों की आंतों में एक तरह के बैक्टीरिया मीथेन गैस के ज्यादा उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं. आंत के बाहरी हिस्से में रहने वाले ये बैक्टीरिया रूमेन कहलाते हैं. ये बैक्टीरिया ज्यादा खतरनाक इसलिए हैं क्योंकि ये बिना ऑक्सीजन के भी जीवित रह पाते हैं. गायें जब चारा खाती हैं जो उसका फर्मेंटेशन (सड़ाकर) उससे पोषण लेते हैं. इसी प्रक्रिया में गायों को बार-बार डकार आती है और मीथेन निकलती है.
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कम हानिकारक हो सके, इसपर शोध
गायों के पाचन की प्रोसेस को कम हानिकारक बनाने के लिए क्लाइमेट चेंज से जुड़े एक्सपर्ट शोध कर रहे हैं. एक प्रयोग में पाया गया कि अगर गाय को खाने में समुद्री शैवाल मिलाकर दें तो उसकी डकार 30 प्रतिशत तक कम हो जाती है. इसी कड़ी में बर्गर किंग ने भी अपना विज्ञापन दे दिया. उसमें लिखा था कि हम अपनी गायों को लेमनग्रास खिलाते हैं और इससे ग्रीनहाउस गैसों का निकलना 33 प्रतिशत तक घटा है. बता दें कि दूसरे देशों में बर्गर किंग में बीफ प्रोडक्ट भी मिलते हैं. अब कोरोना के बाद से लोग नॉनवेज खाना कम कर रहे हैं तो उसकी बिक्री भी घटी. इसी के बाद कंपनी ने ऐसा विज्ञापन दिया, जिसपर बवाल मचा.

सभी पालतू जानवर, जिनके पेट में पाचन के लिए चार चैंबर होते हैं, उनसे मीथेन निकलती है (Photo-pixabay)
जंगली जानवरों से नहीं निकलती उतनी गैस
सिर्फ गायें ही नहीं, बल्कि वो सभी पालतू जानवर, जिनके पेट में पाचन के लिए चार चैंबर होते हैं, उनके खाने और पचाने की प्रक्रिया में मीथेन गैस निकलती है. यूएन के फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक गायों के अलावा सुअर, भेड़, बकरियों से भी मीथेन निकलता है. लेकिन गायों से मीथेन उत्सर्जन सबसे ज्यादा होता है. वहीं जंगली जानवरों से मीथेन उत्सर्जन काफी कम होता है क्योंकि उनका पाचन तंत्र अलग तरह से बना हुआ है.
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वहीं एक गाय के खाना पचाने की प्रक्रिया में रोज 300 से 500 लीटर मीथेन निकलती है. यही वजह है कि वैज्ञानिक इसे कम करने के लिए तरह-तरह के तरीके अपनाने की कोशिश कर रहे हैं. खासकर के गायों के खानपान में बड़ा बदलाव करने या उसे इंजेक्शन देने के ताकि आंतों के बैक्टीरिया नष्ट हो जाएं. वहीं इसके उलट वैज्ञानिकों का एक तबका ये भी मानता है कि आंतों में पाए जाने वाले बैक्टीरिया (सभी) पाचन क्षमता अच्छी रखते हैं. ऐसे में किसी खास बैक्टीरिया को मारना गायों की सेहत के लिए खतरनाक भी सकता है.
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