जुलाई के 15 दिनों में लगभग 2.5 लाख करोड़ के व्यापार का घाटा हुआ है.
कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनजर पहले देशभर में लगे लॉकडाउन और फिर अनलॉक प्रक्रिया के दौरान घरेलू खुदरा व्यापार (Retail Business) बेहद प्रभावित हुआ है. करीब 100 दिनें में इस क्षेत्र को 15.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. केंद्र व राज्य सरकार से भी मदद नहीं मिली है.
घरेलू व्यापार पर चौतरफा मार
देश के घरेलू व्यापार की वर्तमान स्थिति का विश्लेषण करते हुए कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि देश में घरेलू व्यापार अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहा है और रिटेल व्यापार पर चारों तरफ से बुरी मार पड़ रही है. यदि तुरंत इस स्तिथि को ठीक करने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाये गए तो देश भर में लगभग 20% दुकानों को बंद करने पर मजबूर होना पड़ेगा जिसके कारण बड़ी संख्यां में बेरोजगारी भी बढ़ सकती है.
हर महीने हुआ बड़ा नुकसानभरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि एक अनुमान के अनुसार देश के घरेलू व्यापार को अप्रैल में लगभग 5 लाख करोड़ का जबकि मई में लगभग साढ़े चार लाख करोड़ रुपये और जून महीने में लॉकडाउन हटने के बाद लगभग 4 लाख करोड़ था. वहीं, जुलाई के 15 दिनों में लगभग 2.5 लाख करोड़ के व्यापार का घाटा हुआ है.
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कोरोना को लेकर लोगों के दिलों में बड़ा डर बैठा हुआ है जिसके कारण स्थानीय खरीददार बाज़ारों में नहीं आ रहे हैं जबकि ऐसे लोग जो पड़ोसी राज्यों या शहरों से सामान खरीदते रहे हैं, वे लोग भी कोरोना से भयभीत होने तथा दूसरी ओर एक शहर से दूसरे शहर अथवा एक राज्य से दूसरे राज्य में अंतर-राज्यीय परिवहन की उपलब्धता में अनेक परेशानियों के कारण खरीददारी करने बिलकुल भी नहीं जा रहे हैं जिससे देश के रिटेल व्यापार की चूलें हिल गई हैं.
बाजार में खरीदारों की कमी
दोनों ने कहा कि इन सभी कारणों के चलते देश भर के व्यापारिक बाज़ारों में बेहद सन्नाटा है और आमतौर पर व्यापारी प्रतिदिन शाम 5 बजे के आसपास अपना कारोबार बंद कर अपने घरों को चले जाते हैं. देश भर के व्यापारियों से उपलब्ध जानकारी के अनुसार कोरोना अनलॉक अवधि के बाद अब तक केवल 10% उपभोक्ता ही बाज़ारों में आ रहे हैं जिसके कारण व्यापारियों का व्यापार बुरी तरह प्रभावित हो रहा है.
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केंद्र व राज्य सरकार से नहीं मिली मदद
उन्होंने कहा कि अभी तक व्यापारियों को केंद्र सरकार या राज्य सरकारों द्वारा कोई आर्थिक पैकेज पैकेज नहीं दिया गया जिसके कारण व्यापार को पुन: जीवित करना बेहद मुश्किल काम साबित हो रहा है. ऐसे समय में जब देश भर के व्यापारियों के देख रेख बेहद जरूरी थी ऐसे में व्यापारियों को परिस्थितियों से लड़ने के लिए अकेला छोड़ दिया गया है. इस समय व्यापारियों को ऋण आसानी से मिले इसके लिए एक मजबूत वित्तीय तंत्र को तैयार करना बेहद जरूरी है.
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